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विषय | सामाजिक विज्ञान |
पाठ | 4: कानून की समझ |
वर्ग | 8th |
भाग | सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3 |
Category | Bihar Board Class 8 Solutions |
Bihar Board Class 8 Civics Solutions Chapter 4
कानून की समझ
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
जब एक केन्द्रीय मंत्री के भाई को हत्या के आरोप में सजा सुनायी गयी तो वह अपने भाई को राज्य से बाहर भाग निकलने में विशेष मदद करता है। क्या आपको लगता है कि उस केन्द्रीय मंत्री ने सही काम किया ? क्या उसके भाई को केवल इसलिए कानून से माफी मिलनी चाहिए क्योंकि उसका भाई आर्थिक और राजनैतिक रूप से बहुत ताकतवर है?
उत्तर-
नहीं, उस केन्द्रीय मंत्री ने अपने हत्या के आरोपी भाई को राज्य से बाहर भगाकर सही काम नहीं किया । ऐसा कर वह स्वयं भी कानून का अपराधी बन गया । कानून सभी के लिए समान है और उसे मानना छोटे-बड़े सभी लोगों का राष्ट्रीय धर्म है।
प्रश्न 2.
कानून बनाते समय संविधान की किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? अलग-अलग समूह बनाकर इस विषय पर चर्चा कीजिए।
उत्तर-
रमेश : समाज के लिए सुनिश्चित कानून-व्यवस्था बेहद जरूरी
मुकेश : सही है । कानून मानव कल्याण और मानवीय अधिकारों के आधार पर बनाये जाते हैं।
समय : कानून आम तौर पर स्थिर और निश्चित होते हैं …..।
रेशु : हाँ, पर किसी विशेष परिस्थिति या जनता के पुरजोर विरोध किये जाने पर खास कानूनों को संशोधित किया जाता है।
हेमा : हाँ, कई बार तो सरकार अलोकप्रिय कानूनों को जन-दबाव में वापस भी ले लिया करती है।
संतोष : कुल मिलाकर कानून बनाते वक्त जनता के हितों को ध्यान में रखना सर्वोपरि है।
प्रश्न 3.
मान लीजिए आपके विद्यालय में बाल मजदूरी के विरुद्ध अभियान चल रहा है और आपको उसके लिए पोस्टर बनाने को कहा जाए तो आप क्या बनाएँगे ? ऊपर दी गई जगह पर बनाएँ।
आओ मिलकर
यह प्रण लें ……
उत्तर-
आओ मिलकर
यह प्रण लें
कि हम सब
बाल मजदूरी का
विरोध करेंगे।
प्रश्न 4.
अपनी शिक्षिका की मदद से, कुछ ऐसे कानूनों की सूची बनाएँ जो जनता के दबाव में वापस ले लिये गये।
उत्तर-
जनता के दबाव में कई अलोकप्रिय कानूनों को सरकार ने वापस ले लिया । जैसे-बिहार प्रेस बिल 1980, उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों में लागू सशस्त्र सेना अधिनियम, 1974 से 1976 के बीच कांग्रेस द्वारा देश पर थोपे गये आपातकाल में प्रेस और लोगों की आजादी पर लगायी गयी सख्त रोक । आपातकाल को भी लोगों के जबर्दस्त विरोध पर वापस लेना पड़ा था।
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1.
कानून के शासन से आप क्या समझते हैं ? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-
कानून के शासन का अर्थ है कि देश के सभी नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या वर्ग के हों, छोटे या बड़े, ऊँचे या नीच जाति के हों, सभी पर वह कानून समान रूप से लागू होता है। जैसे, बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मस्जिद की’ सुरक्षा न कर पाने के जुर्म में एक दिन के जेल की सजा भुगतनी पड़ी थी।
अभी भी तिहाड़ जेल में कुछ केन्द्रीय मंत्री और बड़े अधिकारी सजा भुगत रहे हैं। कानून समर्थ और लाचार, किसी नागरिक के बीच भेदभाव नहीं करता । सब पर कानून के नियम समान रूप से लागू होते हैं।
प्रश्न 2.
भारत में कानून बनाने की प्रक्रिया की मुख्य बातों को अपने शब्दों में लिखिये।
उत्तर-
भारत में कानून बनाने का कार्य देश की संसद करती है । पहले जनता के बीच किसी कानून को बनाने के लिए चर्चा एवं बहस होती है । फिर सरकार द्वारा सदन में कानून के सम्बन्ध में विधेयक पेश किया जाता है । इस पर सदन में चर्चा बहस होती है। फिर या तो विधेयक पारित किया जाता है या रद्द कर दिया जाता है। एक सदन से पारित विधेयक को दूसरे सदन में भेजा जाता है।
दूसरे सदन में चर्चा/बहस के बाद आवश्यक संशोधन के बाद उसे पारित कर दिया जाता है। फिर विधेयक को राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है। फिर सहमति के बाद विधेयक कानून बन जाता है।
प्रश्न 3.
आपके विचार में शिक्षा के अधिकार के कानून में किन-किन बातों को शामिल करना चाहिए और क्यों ?
उत्तर-
मेरे विचार में शिक्षा के अधिकार के कानून में हर वर्ग के बच्चों को उच्च शिक्षा तक मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए । ऐसा इसलिए कि शिक्षा ही राष्ट्र के सम्मान को बढ़ाती है। शिक्षित समाज ही विकसित समाज होता है। अतः सभी बच्चों को शिक्षा पाने का अधिकार होना चाहिए और शिक्षा जगत में छोटे-बड़े का भेद नहीं होना चाहिए।
ऐसा कानून बनने पर आज जो स्कूल-कॉलेज शिक्षा के नाम पर दूकान बनते जा रहे हैं, ऐसा .. होना बंद हो जायेगा । पूर्व में भी तो राजे-महाराजे गुरुकुलों को आर्थिक मदद देकर शिक्षा का संचालन धार्मिक कार्य की तरह करवाया करते थे तो अब जनता की सरकार तमाम जनता को उच्च शिक्षा तक शिक्षित होने का अधिकार और सुविधा क्यों नहीं दे सकती !
प्रश्न 4.
अगर किसी राज्य या केन्द्र की सरकार ऐसा कोई कानून बनाती है जो लोगों की जरूरतों के अनुसार न हो, तो आम लोगों को क्या करना चाहिए?
उत्तर-
यदि राज्य या केन्द्र की सरकार ऐसा कोई कानून बनाती है जो लोगों की जरूरतों के अनुसार न हो, तो आम लोगों को ऐसे कानून के विरोध में धरना-प्रदर्शन आदि कर अपना विरोध जताना चाहिए। साथ ही, जनता को ऐसे कानून के विरोध में न्यायालय की शरण भी लेनी चाहिए।
प्रश्न 5.
मान लीजिए आप प्रतिरोध नामक महिला संगठन के सदस्य हैं और आप बिहार राज्य में शराबबंदी पर कानून लागू करवाना चाहते हैं। इस विषय में अपने राज्य के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन लिखिये जिसमें शराबबंदी के कानून की आवश्यकता के बारे में बताया गया हो।
उत्तर-
सेवा में,
मुख्यमंत्री, बिहार
हम ‘प्रतिरोध’ नामक महिला संगठन के सदस्य, आपसे सविनय निवेदन करना चाहता है कि कृपा कर अपने राज्य में शराबबंदी पर कानून लागू कराएँ। आम जनता की गाढ़ी कमाई शराब जैसी विलास सम्बन्धी चीज के पीछे नाहक बर्बाद हो रही है। शराबखोरी ने छेड़खानी, लूट-खसोट, बलात्कार, हत्या जैसे कई अपराधों को बढ़ावा देने का अनैतिक कार्य किया है।
शराबखोरी को बढ़ावा देने का कोई औचित्य नहीं है। अतः आप जैसे सहृदय और विवेकी मुख्यमंत्री से सादर निवेदन है कि हमारे राज्य में शराबबंदी का कानून सख्ती से लागू किया जाए।
सदस्यगण
‘प्रतिरोध’
(जागरूक महिला संगठन)
प्रश्न 6.
अगर पटवारी के पास जमीन दर्ज करवाने का कानून न हो, तो आम लोगों को किन-किन असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है ?
उत्तर-
अगर पटवारी के पास जमीन दर्ज करवाने का कानन न हो, तो आम लोगों को इसके लिए शहर जाकर अदालत के चक्कर लगाने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। ऐसा करना उनके लिए शारीरिक और आर्थिक दोनों रूप से कष्टप्रद होगा। पैसों का अनुचित खर्च अलग और शारीरिक परेशानी अलग । जबकि पटवारी के पास जमीन दर्ज करवाने के कानून से ग्रामीणों को हर प्रकार की सुविधा हो जाती है। वह भी उनके गाँव में ही।