Hello and welcome students to one more guide available on our website. Today we will dive into Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 10 – ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से Diving into the depths of Hindi literature can be both fascinating and challenging. But worry not; with our solutions, you will be able to conquer this subject smoothly. So if you are ready, then let’s get started with the solution of Bihar Board Class 8 Hindi Chapter 10 – ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से
विषय | हिंदी |
पाठ | 10. ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से |
लेखक | रामधारी सिंह दिनकर |
वर्ग | 8th |
भाग | किसलय भाग 3 |
Category | Bihar Board Class 8 Solutions |
Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 10
ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से
पाठ से
प्रश्न 1.
वकील साहब सुखी क्यों नहीं हैं ?
उत्तर:
वकील साहब को धन-सम्पत्ति सुन्दर घर मृदुभाषिणि पत्नी पुत्र-पुत्री किसी चीज की कमी नहीं है लेकिन वे सुखी नहीं हैं क्योंकि उनके हृदय में ईर्ष्या रूपी आग सदैव पीड़ा पहुंचा रही है । उनके बगल का एक बीमा एजेन्ट की चमक-दमक, आमदनी गाड़ी इत्यादि सभी उन्हीं को क्यों नहीं हो जाता है। अर्थात् किसी दूसरे को सुख-सुविधा या आय क्यों ? ईर्ष्या के कारण वे सदैव चिन्तित और दुखी रहा करते । उन्हें सब सुख रहते हुए भी सुख नहीं ।
प्रश्न 2.
ईर्ष्या को अनोखा वरदान क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
ईर्ष्या को अनोखा वरदान इसलिए कहा गया है कि जिसके हृदय में यह अपना घर बना लेता है उसको प्राप्त सुख के आनन्द से वंचित कर देता है। ऐसा व्यक्ति जिसके हृदय में ईर्ष्या होती उसे अप्राप्त सुख दंश की तरह दर्द देता है। ईर्ष्या उसे अपने कर्तव्य-मार्ग से विचलित कर देता है जो ईर्ष्या की अनोखा वरदान है।
प्रश्न 3.
ईर्ष्या की बेटी किसे और क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
ईर्ष्या की बेटी निंदा को कहा गया है। जिसके पास ईर्ष्या होती वह ही दूसरों की निंदा करता है। ईर्ष्यालु व्यक्ति सोचता है कि अमुक व्यक्ति यदि आम लोगों के नजर से गिर जाय तो उसका स्थान हमें प्राप्त हो जायेगा। इस प्रकार निंदा ईर्ष्यालु व्यक्ति का सहायक बनकर ईर्ष्या रूपी आग को और भी अधिक बढ़ा देती है। इसीलिए तो निंदा को ईर्ष्या की बेटी कही गई है।
प्रश्न 4.
ईर्ष्यालु से बचने के क्या उपाय हैं ?
उत्तर:
ईर्ष्यालु व्यक्ति सभ्य सज्जन और निर्दोष व्यक्ति की भी निंदा करता है। ईर्ष्यालु उसे समाज में नीचा दिखना चाहता है तो ऐसे अवस्था में उस सज्जन व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी कमजोरी को देखें और उसे दूर कर उसे प्रभावित करें कि ईर्ष्यालु व्यक्ति के हृदय में स्थित ईर्ष्या निकल जाय । यही उससे बचने का उपाय है।
प्रश्न 5.
ईर्ष्या का लाभदायक पक्ष क्या हो सकता है?
उत्तर:
ईर्ष्या से स्पर्धा होती है। जब स्पर्धा की बात ईर्ष्या से होती है तो वह आदमी अपने कर्म बदौलत अपने प्रतिद्वन्दी को पछारना चाहता है। इससे ईर्ष्यालु व्यक्ति में उन्नति होता है । इस प्रकार स्पर्धा ईर्ष्या का लाभदायक पक्ष साबित हो सकता है।
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए कथनों का अर्थ समझाइए
(क) जो लोग नए मूल्यों का निर्माण करने वाले हैं, वे बाजार में नहीं बसते, वे शोहरत के पास भी नहीं रहते।
अर्थ – जो लोग ईर्ष्यालु से बचना चाहते हैं अथवा नए मूल्यों का निर्माण करना चाहते हैं वे बाजार में नहीं बसते वे यश या अपयश की भी चिन्ता नहीं करते हैं।
(ख) आदमी में जो गुण महान समझे जाते हैं, उन्हीं के चलते लोग उससे जलते भी हैं।
अर्थ – किसी व्यक्ति में जब कोई महान गुण आ जाता है तो दूसरे व्यक्ति उससे जलते हैं। ईर्ष्यालु व्यक्ति को किसी व्यक्ति की महानता जलने को विवश कर देती है।
(ग) चिंता चिता समान होती है।
अर्थ – चिंता चिता के समान होती है अर्थात् जिसे चिन्ता हो जाती है उस व्यक्ति की जिन्दगी ही खराब हो जाती है। वह व्यक्ति को गला-गलाकर रखकर देती है। चिंता वाला व्यक्ति अपने कर्तव्य को भूल जाता है तथा उसकी अवन्निति होने लगती है।
प्रश्न 2.
अपने जीवन की किसी घटना के बारे में बताइए जब-
(क) किसी को आपसे ईर्ष्या हुई हो।
उत्तर:
एक सहपाठी को हमसे ईर्ष्या हो गई। कारण कि मैं अपने वर्ग में प्रथम आया करता हूँ। हमारा गुण शिक्षकों का भी ध्यान हमारी ओर आकर्षित कर लिया था। शिक्षक हमें बराबर प्रोत्साहित करते रहते थे। वे ईर्ष्यालु सहपाठी हमारे बारे में शिक्षकों से झूठी शिकायत करने लगे।
थोड़ी देर के लिए हमारे शिक्षक भी उससे प्रभावित हुए तथा शिकायत हमारे अभिभावक को भी शिक्षक के माध्यम से मिल गया। मैंने सोच लिया यह शिकायत कैसे दूर होगी । मैं अगले दिन से शिक्षकों के साथ विद्यालय से निकलने लगे। कुछ ही दिनों में शिकायत झूठी है जब शिक्षक और अभिभावक के समझ में आ गया तो उन्होंने उस विद्यार्थी को ही डाँटकर शिकायत को झूठा साबित कर दिया।
(ख) आपको किसी से ईर्ष्या हुई हो।
उत्तर:
हमें भी अपने वर्ग के एक सहपाठी से ईर्ष्या हुई कि वह वर्ग में प्रथम क्यों आता है । मैं भी प्रथम क्यों नहीं आता । वह ईर्ष्या स्पर्धा में बदलकर हमने जाना कि वह कितना मेहनत करता है। मैं उससे अधिक समय पठन-पाठन में देकर उसी साल उससे आगे बढ़कर प्रथम आ गया।
प्रश्न 3.
अपने मन से ईर्ष्या का भाव निकालने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
अपने मन से ईर्ष्या का भाव निकालने के लिए हमें स्पर्धा का भाव लाकर अपने कर्त्तव्य में गति लाना चाहिए । मानसिक अनुशासन अपमे में लाकर . फालतु बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए तथा यह हमें पता लगाना चाहिए कि किस अभाव के कारण हममें ईर्ष्या का उदय हुआ । उसकी पूर्ति इस स्पर्धा से कर ईर्ष्या से दूर हो सकते हैं।
व्याकरण
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर
- मृदुभाषिणी–वकील साहब की पत्नी मृदुभाषिणी थी।
- चिंता – चिंता चिता के समान है।
- सुकर्म-सुकर्म से सुयश मिलता है।
- बाजार–बाजार रविवार को बंद रहता है।
- जिज्ञासा-हमें किसी बात की जानकारी करने की जिज्ञासा होनी चाहिए।
Conclusion
In conclusion, this was your Bihar Board Class 8 Hindi Solutions for Chapter 10 – ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से. Throughout our solutions, we have given you the best and most reliable answers of the questions asked in this chapter. Our solutions for “ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से” break down complex phrases and concepts, ensuring you grasp the true essence of the text. If you have found our solutions helpful, then do share our solutions with your friends and classmates.