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विषय | सामाजिक विज्ञान |
पाठ | 3.अपवाह स्वरूप |
वर्ग | 9th |
भाग | भूगोल |
Category | Bihar Board Class 9 Solutions |
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 3
अपवाह स्वरूप
दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए।
प्रश्न 1.
लक्ष्मीसागर झील किस राज्य में स्थित है ?
(क) मध्यप्रदेश
(ख) उतर प्रदेश
(ग) बिहार
(घ) झारखंड
उत्तर-
(ग) बिहार
प्रश्न 2.
निम्न में से कौन लवणीय झील है ?
(क) वूलर
(ख) डल
(ग) सांभर
(घ) गोविन्दसागर
उत्तर-
(ग) सांभर
प्रश्न 3.
गंगा नदी पर गांधी सेतु किस शहर के निकट अवस्थित है ?
(क) भागलपुर
(ख) कटिहार
(ग) पटना
(घ) गया
उत्तर-
(ग) पटना
प्रश्न 4.
कौन-सी नदी भ्रंश घाटी से होकर बहती है ?
(क) महानदी
(ख) कृष्णा
(ग) तापी
(घ) तुंगभ्रदा
उत्तर-
(ग) तापी
प्रश्न 5.
कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है ?
(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी
उत्तर-
(ख) गोदावरी
प्रश्न 6.
सिंधु जल समझौता कब हुआ था ?’
(क) 1950 ई० में
(ख) 1955 ई० में
(ग) 1960 ई० में
(घ) 1965 ई० में
उत्तर-
(ग) 1960 ई० में
प्रश्न 7.
‘शांग-पो’ किस नदी का उपनाम है
(क) गंगा
(ख) ब्रह्ममपुत्र
(ग) सतलुज
(घ) गोदावरी
उत्तर-
(ख) ब्रह्ममपुत्र
प्रश्न 8.
इनमें से गर्म जल का जल प्रपात कौन है ?
(क) ककोलत
(ख) गरसोप्पा
(ग) ब्रह्मकुंड
(घ) शिवसमुद्रम
उत्तर-
(ग) ब्रह्मकुंड
प्रश्न 9.
कोसी नदी का उद्गम स्थल है ?
(क) गंगोत्री
(ख) मानसरोवर
(ग) गोसाईंथान
(घ) सतपुड़ा श्रेणी
उत्तर-
(ग) गोसाईंथान
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जल विभाजक का क्या कार्य है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जब कोई ऊँचा.क्षेत्र, जैसे पर्वत या उच्चभूमि दो निकटवर्ती अपवाह श्रेणियों को एक-दूसरे से अलग करती है तब ऐसी उच्च भूमि जल विभाजक कहलाती है। जैसे-दिल्ली की उच्चभूमि सतलज बेसिन और गंगा बेसिन को अलग करने के कारण जल विमाजका का उदाहरण है।
प्रश्न 2.
भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौन-सी है?
उत्तर-
भारत की सबसे विशाल नदी द्रोणी गंगा है। इसकी लम्बाई 2525 किमी० है।
प्रश्न 3.
सिंध एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं ?
उत्तर-
सिंधु नदी तिब्बत के निकट मानसरोवर झील से निकलती है जबकि गंगा हिमालय की गंगोत्री नामक हिमानी से निकलती है ।
प्रश्न 4.
गंगा की दो प्रारंभिक धाराओं के नाम लिखिए ? ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं ?
उत्तर-गंगा की दो मुख्य धाराएँ अलकनंदा और भागीरथी हैं । ये देव प्रयाग नामक स्थान पर मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
प्रश्न 5.
लम्बी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद(सिल्ट) क्यों है ?
उत्तर-
तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी का मार्ग काफी लम्बा है । परन्तु इस मार्ग में इसे वर्षा अथवा अन्य साधनो से कम जल प्राप्त होता है । कम जल के कारण इसकी अपरदन शक्ति कम होती है । इसी कारण इसमें गाद (सिल्ट) की मात्रा कम होती है ।
प्रश्न 6.
कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ धासान घाटी से होकर बहती हैं ? समुद्र में प्रवेश करने के पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं ?
उत्तर-
नर्मदा एंव तापी दो प्रायाद्वीप में प्रवेश करने के पहले ज्वारनदमुख (estury) का निर्माण करती हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत की नदियों के दो वर्ग हैं –
(1) हिमालय की नदियाँ तथा (2) प्रायद्वीपीय नदियाँ अलग-अलग भौगोलिक प्रदेशों में इनकी उत्पत्ति होने के कारण नदियाँ एक दूसरे से । भिन्न हैं । इनकी भिन्नता के कारन ही इनकी खास विशेषता हो गई हैं
(i) हिमालय की अधिकांश नदियाँ बारहमासी अथवा स्थायी हैं । इन्हें वर्षा के जल के अतिरिक्त पर्वत की चोटियों पर जमे हिम के पिघलने से सलो भर जलापूर्ति होती रहती है।
(ii) सिंधु एंव ब्रह्मपुत्र जैसी भारत की प्रमुख नदियाँ हिमालय से निकलती हैं । इन नदियों ने प्रवाह के क्रम में पर्वतों को काटकर गार्ज का निर्माण किया है । जसै-ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय के नामचा बरवा शिखर के पास अंग्रेजी के ‘U’ आकार का मोड़ बनाकर अरुणाचल प्रदेश में गार्ज का निर्माण करती है ।
(iii) हिमालय जनित नदियाँ उद्गम स्थल से समुद्र तक यात्रा के दौरान अनेक प्रकार के क्रिया-कलाप को अंजाम देती हैं।
(iv) ये नदियाँ अपने मार्ग के ऊपरी भाग में तीव्र अपरदन करती है और सिल्ट (गाद) बालू, मिट्टी जैसे-अपरदित पदार्थो को ढोते चलती है। नदियाँ ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती है, अबसाद की मात्रा बढ़ती जाती है । इसे मध्य एंव निचले मार्ग में जहाँ भूमि की ढाल की हो जाती है, नदियों का संवहन करने में कठिनाई होती है ।
(v) परिणामतः नदियाँ उसे जमा करती है, जिससे गोखर झील, बाढ़ का मैदान और डेल्टा जैसे अनेक आकृतियों का निर्माण करती हैं ।
प्रायद्वीपीय नदियाँ : इनकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
- यहाँ की अधिकांश नदियाँ मौसमी हैं, जिनका स्रोत मुख्यतः वर्षा का जल है ।
- ग्रीष्म काल में जब वर्षा नहीं होती है तो नदियाँ सिकुड़ कर पतली हो जाती हैं और छोटी धाराओं में बहने लगती है ।
- नर्मदा तथा तापी नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं पठारी भाग से ही निकलती हैं। सागर में गिरने के पहले ज्वारनदमुख का निर्माण करती है।
- कृष्णा, कावेरी, महानदी, गोदावरी पश्चिमी घाटी से निकलकर पूरब में बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं और अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं।
प्रश्न 2.
प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व एवं पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियाँ अनुगामी या अनुवर्ती नदी-प्रणाली कहलाती हैं। यहाँ पूर्व में बहने वाली मुख्य नदियाँ-महानदी, गोदावरी, तथा कृष्णा और कावेरी है तथा पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में नर्मदा और ताप्ती है। दोनों की तुलना इस प्रकार हैं
पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ –
- पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
- गोदावरी को दक्षिण की गंगा कहा जाता है।
- मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत मंद पड़ जाती है। ये नदियाँ अपने मुहाने पर डेल्टा बनाती हैं।
- कुछ नदियों में शिवनाथ, हंस देव, मांद, जोंक, तेल, दूध गंगा, पंचगंगा, तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मालप्रभा, वैतरणी एवं सुवर्णरेखा
पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ –
- ये नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं।
- मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत तेज हो जाती है।
- ये नदियाँ अपने मुहाने पर ज्वारनदमुख अथ्वा एस्चुअरी का निर्माण करती हैं।
- कुछ नदियों में गोवा का मांडवी और जुआरी, कर्नाटक की कालिन्दी, गंगावली, शर्वती तथा नेत्रवती, केरल की पेरियार, पम्बा तथा मनिमाला हैं जो अरब सागर में गिरती हैं। ये सभी तीव्रगामी नदियाँ हैं।
प्रश्न 3.
भारत की अर्थव्यवस्था में नदियों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
भारत की अर्थव्यवस्था में नदियों का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है। –
- इन नदियों के प्रवाह से ही कृषि भूमि का आज 40% प्रतिशत भूभाग जलोढ़ मिट्टी से ढका हुआ है जो नदी घाटी, डेल्टा और तटीय मैदानी भागों में फैले हुए हैं ।
- गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र के डेल्टा एवं मैदानी भाग में जलोढ़ की प्रचुरता हैं जो अत्यंत ही उपजाऊ है।
- ये यातायात के साधन भी रही हैं। आज भी ब्रह्ममपुत्र, गंगा और यमुना में दूर-दूर तक स्टीमरें चलती हैं।
- ये जल विद्युत उत्पन्न कर रही हैं और जलशक्ति का भंडार भी है।
- ये नदियाँ मछलियाँ प्राप्त के साधन हैं । पूर्वी भारत के कितने ही लोगों के आहार में मछली की प्रमुखयता है। अतः मछली उद्योग – बहुतों की अजीबिका है।
- नदियाँ उद्योग केन्द्र और नगरों की स्थापना और विकास में मदद पहुँचाती हैं । जैसे स्वर्णरेखा का जमशेदपुर के विकास में, हुगली का कोलकाता के विकास में, गंगा का वाराणसी और कानपुर के विकास में ।
- नदियाँ पर्यटन के आकर्षक केन्द्र भी हैं।
- अनेक परियोजनाओं के द्वारा इसे और भी महत्वपूर्ण बनाया जा रहा है।
प्रश्न 4.
भारत में झीलों के प्रकार का वर्णन उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर-
निर्माण की दृष्टि से झीलों के निम्नलिखित प्रकार हैं
- धंसान घाटी झील- धंसान घाटी में जब जल जमाव होता है तो इस प्रकार की झील का निर्माण होता है । जैसे-अफ्रीका में विक्टोरिया, रूडोल्फा, न्यासा । भारत में तिलैया बाँध द्वारा कृत्रिम झील बनाया गया
- गोखुर झील- नदियों में जब अवसाद की मात्रा बढ़ जाती है या – भूमि का जल कम जाता हैं । तब उसके मार्ग में विसर्पण कम जाता है। विसर्पण भाग कटकर मुख्यधारा से अलग हो जाता है, जिसका आकार गाय के ‘खुर’ के समान होता है । इसे गोखुर या परिव्यक्त झील भी कहा जाता है । जैसे- बिहार के बेतिया का ‘सरैयामान’ बेगूसराय का ‘कांवर झील’ इनके उदाहरण है।
- लैगून झील- ऐसी झीलें समुद्र तट पर मिलती हैं । जहाँ समुद्र का जल बंदी बन कर रह जाता है । पूर्वी समुद्र तट पर चिलका तथा पुलीकट झीलें हैं।
- अवरोधक झील- पर्वतीय प्रदेशों में भू-स्खलन के कारण चट्टाने गिरकर नदियों के प्रवाह को रोक देते हैं, जिसके कारण झील बन जाती है । इसे अवरोधक झील कहते हैं। जैसे-हिमालय क्षेत्र में गोहना झील ।क्रेटर झील-पुराने ज्वालामुखी के मुँह पर बने झील को क्रेटर झील कहते हैं । जैसे- महाराष्ट्र का नोलार झील ।
- हिमानी झील- हिमालय क्षेत्र में हिमानी द्वारा निर्मित झीलों में नैनीताल, भीमताल, सातताल आदि हिमानी झीलें हैं।भूगर्भीय क्रिया से निर्मित झील-जम्मू-कश्मीर में ‘वूलर झील’ मीठे पानी का झील है । यह मीठे पानी की भारत में सबसे बड़ी झील है।
मानचित्र कौशल
(क) भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित नदियों को चिह्नित कीजिए
तथा उनके नाम लिखिए-
(i) गंगा, (ii) सतलुज, (iii) दामादर, (iv) कृष्णा , (v) नर्मदा, (vi) तापी, (vii) महानदी ।
(ख) भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित झीलों को चिह्नित
कीजिए –
(a) चिल्का, (b) सांभर, (c) वूलर, (d) पुलीकट, (e) कोलेरू ।
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