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विषय | सामाजिक विज्ञान |
पाठ | 5. प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी |
वर्ग | 9th |
भाग | भूगोल |
Category | Bihar Board Class 9 Solutions |
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 5
प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी
वैकल्पिक प्रश्न:
प्रश्न 1.
भारत में जीव संरक्षण अधिनियम कब लागू हुआ?
(क) 1982
(ख) 1972
(ग) 1992
(घ) 1985
उत्तर-
(ख) 1972
प्रश्न 2.
भरतपुर पक्षी बिहार कहाँ स्थित है ? ।
(क) असम
(ख) गुजरात
(ग) राजस्थान
(घ) पटना
उत्तर-
(ग) राजस्थान
प्रश्न 3.
भारत में कितने प्रकार की वनस्पति प्रजातियाँ पायी जाती हैं ?
(क) 89000
(ख) 90000
(ग) 95000
(घ) 85000
उत्तर-
(क) 89000
रिक्त स्थान की पूर्ति करें :
- भारत में तापमान चूँकि सर्वत्र पर्याप्त है अतः ………………. की मात्रा वनस्पति के प्रकार को यहाँ निर्धारित करती है।
- धरातल पर एक विशिष्ट प्रकार की वनस्पति या प्राणी जीवन वाले परिस्थिति तंत्र को …………………. कहते हैं।
- मनुष्य भी पारिस्थितिक तंत्र का एक …………………… अंग है।
- घड़ियाल मगरमच्छ की एक प्रजाति विश्व में केवल ………… देश.में पायी जाती है।
- देश में जीवन मंडल निचय (आरक्षित क्षेत्र) की कुल संख्या …………………… है जिसमें …………….. को विश्व के जीवमंडल निचों में सम्मिलित किया गया है।
उत्तर-
- तापमान,
- जीवोम,
- अभिन्न,
- भारत,
- 5.14, 4 ।
भौगोलिक कारण बताएँ
प्रश्न 1.
हिमालय के दक्षिणी ढलान पर उत्तरी ढलान की अपेक्षा सघन वन पाए जाते हैं।
उत्तर-
इसके कारण निम्नलिखित हैं-
हिमालय पर्वत के दक्षिण ढालों पर ज्यादा सघन वनस्पति होने का कारण है वर्षा । इसमें सदाबहार तथा पर्णपाती वन मिलते हैं 1000 मीटर से 2000 मीटर तक की ऊचाई पर ।
दक्षिण ढालों पर सूर्य की किरणें अधिक समय तक पड़ती है जो वृक्षों के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
दक्षिण ढाल उपजाऊ मृदा वाले हैं। इसके विपरीत उत्तरी ढलान पर उपर्युक्त सुविधाओं के अभाव में घने वन नहीं मिलते हैं।
प्रश्न 2.
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन में धरातल लता क्यों वितानों से ढंका हुआ है।
उत्तर-
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन में सदाबहार जंगल मिलते हैं। जिन क्षेत्रों में 200 सें० मी० से अधिक वर्षा होती है । इस क्षेत्र में अधिक वर्षा ओर ऊँचे तापमान के कारण वृक्ष काफी अधिक बढ़ते हैं। वन काफी सघन होते हैं। इसके कारण सूर्य प्रकाश धरातल पर नहीं पहुंच पाता अत्यधिक वर्षा के कारण यहाँ विभिन्न प्रकार की लताएँ वृक्षों से लिपटी रहती हैं तथा धरातल विभिन्न प्रकार की झाड़ियों से आच्छादित रहता है।
प्रश्न 3.
जैव विविधता में भारत बहुत धनी है।
उत्तर-
वनस्पति विविधता की तरह भारत में वन्य पशुओं में भी विविधता देखी जा सकती है। यहाँ 89,000 प्रजातियों के अन्य वन्य प्राणी मिलते हैं। हाथी जैसे बड़े पशु से लेकर भालू, सिंह, बाघ, सियार और-स्थलचर, घड़ियाल केवल भारत में ही मिलते हैं। यहाँ मछलियों की ।
कोई 2500 प्रजातियाँ और पक्षियों में मोर, हंस, बत्तख, मैंना, तोता, कबूतर, सारस और बगुले मुख्य रूप से मिलते हैं। विश्व की कुल वन्य प्राणी प्रजातियों का 13% भारत में पाई जाती है। भारत में विश्व के 5% से 8% तक के स्तनधारी जानवर उभयचरी और रेंगने वाले जीव पाए जाते हैं।
प्रश्न 4.
झाड़ी एवं कँटीले वन में पौधों की पत्तियाँ रोएँदार मोमी, गूदेदार एवं छोटी होती हैं।
उत्तर-
जहाँ वर्षा 50 सें मी० से कम होती है वहाँ अनेक प्रकार के कैंटीले वन तथा झाड़ियाँ पायी जाती हैं। इस प्रकार की वनस्पति उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में पाई जाती है। इसके अंतर्गत गुजरात, राजस्थान, हरियाणा के आर्द्रशुष्क क्षेत्र, उत्तर-प्रदेश का पश्चिम क्षेत्र, मध्यप्रदेश का उत्तर-पश्चिम क्षेत्र आदि सम्मिलित हैं। इनके अंतर्गत-खजूर, यूफोर्बिया, एकेसिया (बबूल) तथा नागफनी (कैक्टस) प्रजातियाँ आती हैं। इन वनस्पतियों के लिए पानी की मांग सबसे महत्वपूर्ण है। अत इसे प्राप्त करने के लिए इनकी जड़े अत्यन्त गहरी होती हैं। पानी को अधिक से अधिक बचा कर रखा जा सके इसलिए इनके तने मोटे होते हैं। पत्तियाँ मोटी, रोएँदार या गूदेदार होती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सिमलीपाल जीवमंडल निचय कहाँ है ?
उत्तर-
सिमलीपाल जीवमंडल निचय उड़ीसा राज्य में है।
प्रश्न 2.
बिहार किस प्रकार के वनस्पति प्रदेश में आता है ?
उत्तर-
बिहार उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन प्रदेश में आता है।
प्रश्न 3.
हाथी किस वनस्पति प्रदेश में पाया जाता है ?
उत्तर-
हाथी उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन प्रदेश में पाया जाता है।
प्रश्न 4.
भारत में पाए जाने वाले कुछ संकटग्रस्त वनस्पति एवम् प्राणियों के नाम बताएँ।
उत्तर-
विश्व संरक्षण संघ ने लाल सूची के अंतर्गत 352 पादपों के को शामिल किया गया है जिनमें 52 पादप संकट ग्रस्त है और 49 किसमें तो नष्ट होने के कगार पर है। प्राणियों में-बाघ और सिंह संकट ग्रस्त हैं।
प्रश्न 5.
बिहार में किस वन्य प्राणी को सुरक्षित रखने के लिये वाल्मिकी नगर में प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।
उत्तर-
हाथी को सुरक्षित रखने के लिए प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) शब्द का प्रयोग सबसे पहले ए० जी० टांसले (A.G. Tansley) नामक वैज्ञानिक ने सन् 1935 में किया। – परिभाषा-“पारिस्थितिक तंत्र पारिस्थितिकी की वह आधारभूत इकाई है जिसमें जैविक और अजैविक वातावरण एक दूसरे पर अपना प्रभाव डालते हुए पारस्परिक अनुक्रिया से ऊर्जा एवं रासायनिक पदार्थों के निरंतर प्रभाव तंत्र की कार्यात्मक गतिशीलता बनाए रखते हैं।” -ई0 पी0 ओडम किसी भी स्थान पर पौधा या जीव अकेला नहीं पाया जाता है बल्कि ये दोनों साथ-साथ एवं समूहों में पाए जाते हैं और दोनों एक दूसरे पर आश्रित रहते हैं। जब किसी खास जगह की वनस्पति बदल जाती है तो वहाँ के रहने वाले जीव जंतुओं को प्रभावित करती हैं और उनकी संख्या तथा किस्म बदल जाती है। किसी भी जगह के पेड़-पौधे तथा जीव-जन्तु अपने भौतिक वातावरण से अंतर्संबंधित तथा एक दूसरे से भी संबंधित होते हैं। अतः ये दोनों मिलकर एक परिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं। मनुष्य भी इस पारिस्थितिक तंत्र का एक अभिन्न अंग है।
प्रश्न 2.
भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन कारकों द्वारा प्रभावित होता है?
उत्तर-
भारत में वनस्पति तथा जीवों के वितरण के अग्रलिखित कारण हैं-
भारत के वर्षा वितरण तथा वनस्पति-वितरण एवं जीवों में गहरा संबंध है । धरातल का स्वरूप, वर्षा की मात्रा वृक्षों की जाति के आधार पर भारतीय वन एवं जीव निर्भर हैं।
(i) चिरहरितवन- जिन स्थानों में 200 सें. मी० से अधिक वर्षा होती है वहाँ चिररहित वन मिलते हैं। इनमें महोगनी, आबनूस, रोजवुड, बेंत, बाँस, झाउ, ताड़, सिनकोथ और रबर हैं।
स्थान-पूर्वी एवं पश्चिमीघाट, अंडमान द्वीप, हिमालय की तरई, उत्तर प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर मिजोरम तथा त्रिपुरा है।
पाये जानेवाले जीव-बंदर, लंगूर, एक सींगवाला मेंडा तथा हाथी मिलते हैं। विभिन्न प्रकार के पक्षी तथा रेंगनेवाले जीव मिलते हैं।
(ii) पर्णपाती वन- जहाँ 70 से 200 सें० मी० वर्षा होती है।
क्षेत्र-हिमालय की तराई, प्रायद्वीपीय पठार, छोटानागपुर, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा है।
वनस्पति-सागवान, सखुआ, शीशम, चंदन, आम, महुआ, आँवला, त्रिफला आदि।
जीव जन्तु-इन वनों में, वन के अनुरूप जीव मिलते हैं। जैस-सिंह, मोर, जंगली सूअर, हिरण और हाथी हैं।
(iii) शुष्क वन- जहाँ वर्षा 50 सें० मी० से 70 सें. मी. तक होती?
क्षेत्र-राजस्थान, पंजाब, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र गुजरात ।
वृक्ष एवं पौधे-कीकर, बबूल, खैर, झाऊ, नागफनी जीव-वनों के अनुरूप इस पर आधारित जन्तुओं में राजस्थान में ऊँट, जंगली गधं मिलते
(iv) पर्वतीय वन- पर्वतों की ऊँचाई पर वर्षा के अनुरूप 1500 मीटर की ऊँचाई तक वन मिलते हैं। जैसे-कोणधारी वन, अल्पाइन वनस्पति, देवदार, स्यूस, फर, चीड़ तथा ओक मिलते हैं।
क्षेत्र-पूर्वी एवं पश्चिमी हिमालय हैं।
जीव-वन पशुओं में तेंदुआ, बाघ, रीछ, घनेवालों वाली बकरियाँ ।
(v) ज्वारीय वन- मुख्यतः भारत के पूर्वी तट पर हैं। जहाँ दलदल है।
क्षेत्र-गंगा, गोदावरी, कृष्णा कावेरी आदि नदियों के डेल्टाई भाग में ।
वनस्पति-गैंग्रोव तथा सुन्दरी नामक पेड़ होते हैं।
जीव-सुन्दरवन डेल्टा में रॉयल बंगाल टाइगर, घड़ियाल, साँप, कछुआ आदि मिलते हैं।
प्रश्न 3.
वनस्पति जगत् एवं प्राणी जगत् हमारे अस्तित्व के लिये क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर-
वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत हमारे अस्तित्व के लिए अत्यन्त आवश्यक है । मानव जीवन के लिए इनकी अनेक उपयोगिताएँ
वनस्पति जगत ही वातावरण की गुणवत्ता निर्धारित करते हैं जैसे-कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को संतुलित करना, वर्षा को आकर्षित करना., मिट्टी अपरदन रोकना, पत्तियों की खाद द्वारा मिट्टी का उर्वरता को बढ़ाना आदि । इसके साथ-साथ ये हमें अनेक प्रकार के वन उत्पाद भी उपलब्ध कराते है, जैसे-कीमती इमारती लकड़िया, जलावन, पशुओं के लिए चारा, कल कारखानों के लिए लाह, जड़ी-बूटियाँ, कत्था, शहद तथा विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों के लिए निवास स्थान और चिड़ियों को निवास स्थान प्रदान करते हैं।
इसी तरह प्राणी जगत भी हमारे अस्तित्व के लिए अत्यन्त आवश्यक है। क्योंकि प्रत्येक प्रजाति पारिस्थितिक तंत्र के सफल संचालन में योगदान देती हैं। सभ्यता के विकास में विभिन्न प्राणियों का सहयोग है। मनुष्य अपने आहार एवं कृषि कार्य के लिए विभिन्न प्राणियों पर आश्रित हैं। जैसे-दूध, मांस, ऊन, चमड़ा आदि के लिए पशुओं पर आश्रित हैं।
मानचित्र कौशल
प्रश्न 1.
भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित को प्रदर्शित करें
(क) भारत के वनस्पति प्रदेश तथा
(ख) भारत के चौदह जीव मंडल।
उत्तर-
(क) भारत के वनस्पति प्रदेश
(ख) भारत के चौदह जैव मंडल निचय (आरक्षित क्षेत्र)
सुन्दरवन
मन्नार की खाड़ी
नीलगिरि
नंदादेवी
नोकरेक
ग्रेट निकोबार
मानस
सिमलीपाल
दिहांग दिबांग
डिबू साइक वोच
पंचगढी
कान्हा
कच्छ का रन
कंचन जंघा।
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