Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 10: निबंध

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विषयहिंदी
पाठ10: निबंध
लेखकजगदीश नारायण चौबे
वर्ग9th
भागगोधलि भाग-1, गद्य
CategoryBihar Board Class 9 Solutions

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 10

निबंध

प्रश्न 1.

निबंध लेखन का मूल उद्देश्य क्या है?

उत्तर-
निबंध मानसिक प्रतिक्रियाओं, भावनाओं एवं विचारों का एक सँवरा रूप है। निबंधकार जीवन के चित्र खींचता है। जीवन के किसी कोने में झाँककर वह जो कुछ पाता है और उसके मन में उसकी जो प्रतिक्रिया होती है, उसे ही वह निबंध के माध्यम से व्यक्त करता है और वह अपना सम्पूर्ण व्यक्तित्व ढाल देता है।

प्रश्न 2.

निबंध लेखन के समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता

उत्तर-
निबंध लिखने में दो बातों की आवश्यकता है-भाव और भाषा। बिना संयत भाषा के अभिप्रेत भाव व्यक्त नहीं होता। लिखने के लिए जिस तरह परिमार्जित भाव की आवश्यकता है, उसी तरह परिमार्जित भाषा भी। एक के अभाव में दूसरे का महत्व नहीं।

प्रश्न 3.

लेखक ने निबंध की क्या परिभाषा दी है?

उत्तर-
लेखक ने निबंध की कोई सर्वसम्मत परिभाषा नहीं दी है लेकिन उन्होंने कहा है कि निबंध में निबंधकार अपने सहज, स्वाभाविक रूप को पाठक के सामने प्रकट करता है। आत्मप्रकाशन ही निबंध का प्रथम और अन्तिम लक्ष्य है। आधुनिक नेबंध के जन्मदाता फ्रांस के ‘मौन्तेय’ माने गये हैं। निबंध की परिभाषा में उन्होंने कहा है कि “निबंध विचारों, उद्धरणों एवं कथाओं का सम्मिश्रण है।”

प्रश्न 4.

निबंध-लेखन में लेखक किस अत्याचार की बात करता है, जिससे निबंध बोझिल, नीरस और उबाऊ हो जाता है?

उत्तर-
विषय-प्रतिपादन के साथ, विचारों के पल्लवन के साथ, भाषा और शैली के साथ, जिसका नतीजा यह होता है कि हिन्दी निबंध नीरस, बोझिल और उबाऊ हो जाता है।

प्रश्न 5.

निबंध-लेखन में हिन्दीतर भाषाओं के उद्धरण में किस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है?

उत्तर-
लेखक का कथन है कि निबंध में हिन्दीतर भाषाओं का उद्धरण जब भी दें, इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि उसका हिन्दी अनुवाद पहले दें, और बाद में टिप्पणी। मूल पंक्तियों का कम-से-कम लेखकों के नाम का हवाला अवश्य दें।

प्रश्न 6.

अच्छे निबंध के लिए क्या आवश्यक है? विस्तार से तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

उत्तर-
अच्छे निबंध के लिए कल्पना शक्ति की आवश्यकता है। कल्पना केवल कलाकारों की चीज नहीं, विज्ञान के मूल में भी कल्पना ही है। किसी भी चीज को सुन्दर और सुरुचिपूर्ण बनाने के लिए कल्पना से काम लेना अत्यावश्य हो जाता है। ‘कल्पना अज्ञात लोक का प्रवेशद्वार है। अच्छे निबंध के लिए लेखक ने चार तरह की बातें कही हैं। व्यक्तित्व का प्रकाशन, संक्षिप्तता, एकसूत्रता और अन्विति का प्रभाव।।
व्यक्तित्व के प्रकाशन में निबंधकार ने बताया है कि अपने सहज स्वाभाविक रूप से पाठक के सामने प्रकट होता है। संक्षिप्तता के संबंध में निबंधकार का कहना है कि निबंध जितना छोटा होता है, जितना अधिक गढा होता है, उसमें उतनी ही सघन अनुभूतियाँ होती हैं और अनुभूतियों में गढाव कसाव के कारण तीव्रता रहती है।

एकसूत्रता के संबंध में निबंधकर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का उदाहरण देकर बताया है कि व्यक्तिगत विशेषता का मतलब यह नहीं कि उसके प्रदर्शन के लिए विचारों की श्रृंखला रखी ही न जाय या जानबझकर उसे जगह-जगह से तोड दिया जाय; भावों की विचित्रता दिखाने के लिए अर्थयोजना की जाय, जो अनुभूति के प्रकृत या लोक सामान्य स्वरूप से कोई सम्बन्ध ही न रखे, अथवा भाषा से सरकस वालों की सी कसरतें या हठयोगियों के से आसन कराये जायँ, जिनका लक्ष्य तमाशा दिखाने के सिवा और कुछ न हो।

निबंध की चौथी और अन्तिम विशेषता ‘अन्विति का प्रभाव’ के संबंध में निबन्धकार का कहना है कि जिस प्रकार एक चित्र की अनेक असम्बद्ध रेख आपस में मिलकर एक सम्पूर्ण चित्र बना पाती हैं अथवा एक माला के अनेक पुष्प एकसूत्रता में ग्रंथित होकर ही माला का सौन्दर्य ग्रहण करते हैं, उसी प्रकार निबंध के प्रत्येक विचार चिन्तन, प्रत्येक भाव तथा प्रत्येक आवेग आपस में अन्वित होकर सम्पूर्णता के प्रभाव की सृष्टि करते हैं।

प्रश्न 7.

निबंध लेखन की क्या प्रक्रिया बताई गई है? पाठ के आधार पर बताएँ।

उत्तर-
निबंध लेखन के लिए कोई एक शिल्प विधान निर्धारित नहीं किया जा सकता। निबंध साहित्य का एक स्वतंत्र अंग है। अतः इसे नियमों में नहीं बाँधा ज़ा सकता। लेकिन सुगठित निबंध लिखने के लिए तीन बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए-विषय-निरूपण या भूमिका, व्याख्या तथा निष्कर्ष।

विद्यार्थियों को भूमिका के रूप में विषय का संक्षिप्त परिचय देना चाहिए। जिस दृष्टिकोण से निबंध लिखा जाय, उसी दृष्टिकोण से भूमिका भी लिखी जानी चाहिए। विश्लेषण निबंध का सार अंश है। यहाँ विद्यार्थी को विषय का विश्लेषण कर समुचित रूप से उसपर प्रकाश डालना चाहिए। निष्कर्ष में ऊपर कही गयी बातों का सारांश दो-चार पंक्तियों में बहुत ही सुन्दर ढंग से देना चाहिए। निष्कर्ष वाक्य ऐसे हों कि निबंध के सौंदर्य और सरलता को बढ़ा दें, साथ ही स्थापित विचारों के पोषक हों।

प्रश्न 8.

निबंध के कितने प्रकार होते हैं? भेदों के साथ उनकी परिभाषा भी दें।

उत्तर-
निबंध के तीन मुख्य प्रकार हैं-भावात्मक, विचारात्मक तथा वर्णनात्मक/भावात्मक निबंध में भाव की प्रधानता रहती है और विचारात्मक निबंध में विचार की। विचारात्मक निबंध का आधार चिन्तन है। हृदय से हृदय की आत्मीयता स्थापित करना इस प्रकार के निबंधों का लक्ष्य है। वर्णनात्मक निबंध में विषय-वस्तु के वर्णन की शैली की प्रधानता रहती है।

प्रश्न 9.

निबंध लेखन के अभ्यास से छात्र किन समस्याओं से निजात पा सकता है?

उत्तर-
निबंध लेखन के अभ्यास से छात्र को अज्ञानतावश और स्पर्धावश समस्याओं से निजात मिल सकता है। अज्ञानतावश इसलिए कि वे यह मानते ही नहीं किं निबंध दस पृष्ठों से भी कम का हो सकता है और स्पर्द्धावश इसलिए कि अमुक ने कागज लिया तो में क्यों न लूँ। अगर बातों को सुरुचिपूर्ण ढंग से कहने की कला आती हो तो निबंध अनेक पृष्ठों का भी हो सकता है और उसे पढ़ने में छात्रों को आनंद भी आएगा तथा छात्रों को बढ़ियाँ अंक भी मिलेंगे।

प्रश्न 10.

निबंध लेखन में कल्पना का क्या महत्व है?

उत्तर
अच्छे निबंध के लिए कल्पनाशक्ति की आवश्यकता है। जीवन में अच्छा करने के लिए कल्पना की जरूरत पड़ती है। कल्पना केवल कलाकारों की चीज नहीं, विज्ञान के मूल में भी कल्पना ही है। कल्पना अज्ञात लोक का प्रवेश द्वार है।

प्रश्न 11.

आचार्य शुक्ल के निबंध किस कोटि में आते हैं और क्यों?

उत्तर-
आचार्य शुक्ल के निबंध प्रबंध, महानिबंध, शोध-प्रबंध, शोध-निबंध की कोटि में आते है। निबंध विचारों की सुनियोजित अभिव्यक्ति है, इसलिए उसमें कसाव होगा, ढीलापन नहीं। आकस्मिक, लेकिन निरन्तर प्रवाह निबंध के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 12.

ललित निबंध की क्या विशेषता होती है?

उत्तर-
वैयक्तिक निबंध को ही आज ललित निबंध कहा जाता है। शास्त्रीय संगीत के गाढ़ेपन को जिस प्रकार थोड़ा घोलकर सुगम संगीत बना दिया गया है, उसी तरह निबंध को भी लोकप्रिय बनाने के लिए उसकी प्राचीन शास्त्रीयता को एक हद तक ढीला करके लालित्य तत्व से मढ़ दिया गया है।

प्रश्न 13.

निबंध को सुरुचिपूर्ण बनाने की दिशा में भाषा के महत्व पर प्रकाश डालें।

उत्तर-
निबंध को आकर्षक, विश्वासोत्पदक, तथा रोचक बनाने के लिए विषय से जुड़ना और जुड़कर अपने अनुभवों का तर्कसंगत ढंग से उल्लेख करना नितांत आवश्यक है। आज निबंध आत्मनिष्ठ होते हैं। भाषा के दृष्टिकोण से निबंध की प्रायः दो शैलियाँ हैं-
प्रसाद शैली और समास शैली।
अति साधारण ढंग से सहज-सुगम भाषा में बात कहना प्रसाद शैली है। प्रसाद शैली में गम्भीर से गंभीर भावों को साधारण शब्दों में अभिव्यक्त किया जाता है। किसी बात को कठिन शब्दों में कहना, साधारण भाषा का प्रयोग न कर असामान्य भाषा का प्रयोग समास शैली का लक्ष्य है।

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