Hello Students and Teachers. Are you searching for the Solutions of Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 11 ? If yes then you have come to the right place. On this page, we have presented you with the Solutions of Chapter 11:सूखी नदी का पुल
विषय | हिंदी |
पाठ | 11: सूखी नदी का पुल (कहानी) |
लेखक | रामधारी सिंह दिवाकर |
वर्ग | 9th |
भाग | गोधलि भाग-1, गद्य |
Category | Bihar Board Class 9 Solutions |
Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 11
सूखी नदी का पुल
प्रश्न 1.
स्टेशन के बाहर लगी जीप को देखकर लीलावती के मन को ठेस क्यों लगी?
उत्तर-
लीलावती को यह आशा थी कि मुझे लेने गाँव से बहुत लोग आये होंगे लेकिन गाँव के सभी लोगों की जगह केवल भैया, भतीजे, सुरेश, नरेश और एक अपरिचित को देखकर वह कर्त्तव्य विभूढ़ हो गई। अपनी आगवानी में इन सब को आया देख लीलावती को ऐसा लगा जैसे सूखी-प्यासी धरती पर बादल बरस गए हों। क्योंकि उसे उम्मीद थी कि उसकी आगवानी में वही गाँव की पुरानी टप्परवाली बैलगाड़ी या ओहारवाली बैलगाड़ी आई होगी।
लेकिन बदलते समाज के बदले वातावरण से वह खिन्न थी, उसे इसी कारण ठेस लगी।
प्रश्न 2.
गाँव शहर से किस प्रकार भिन्न होता है? वर्णन करें।
उत्तर-
गाँव सिर्फ अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। शहर में ये बातें नहीं है किसी को किसी से मतलब नहीं रहता है। यही गाँव और शहर में विभिन्नता है।
प्रश्न 3.
‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है?
उत्तर-
पिस्तौल जेब में रखते हुए नरेश को जब बुच्चीदाय ने टोका तो नरेश ने बड़े सहज ढंग से इसमें अजरज की क्या बात है; बुच्चीदाय; कहकर टाल देता है। इस । ‘बुच्ची दाय’ के उच्चारण में जो प्रेम, आहाद की भावना है उससे लीलावती को आनंदा तिरेक की अनुभूति होती है।
प्रश्न 4.
बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा किसकी याद आती है और क्यों?
उत्तर-
बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा याद आ रही है, सहेलिया माय। क्योंकि माँ कहती थी कि सहेलिया माय खबासिन नहीं, तुम्हारी दूसरी माँ है। इसी ने तुमको अपना दूध पिलाकर पाला-पोसा।।
प्रश्न 5.
गाँव में लीलावती फोन, फ्रिज, टीवी, वीसीडी की जगह क्या देखना चाहती है?
उत्तर-
लीलावती को आधुनिक विलासिता की सारी चीजें मुंबई में है। वह तो नैहर की पहले वाली असुविधाओं के लिए तरस रही है। सखी-सहेलियाँ, नदी-पोखर, खेत-खलिहान, टोले-पगडंडियाँ, नाथ बाबा का थान्ह, राजा सल्हेश का गहबर, बुढ़िया बाड़ी बरहम बाबा का मंदिर यही सब देखने को लीलावती की इच्छा है।
प्रश्न 6.
प्रस्तुत कहानी में प्रयुक्त उन तथ्यों को एकत्र करें, जिससे ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता है।
उत्तर-
कहानी में प्रयुक्त टप्परवाली बैलगाड़ी या ओहार वाली बैलगाड़ी, नदी-पोखर, खेत, खलिहान, पगडंडी, नाथ बाबा का थान्ह, काठ का पुल, बरहम बाबा का मंदिर आदि का इतना सुंदर वर्णन है कि ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता नजर आता है।
प्रश्न 7.
बुच्ची दाय जब सहेलिया माय से मिलने पहुंची तो सबको अचरज क्यों हुआ? वहाँ के दृश्य का वर्णन करें।
उत्तर-
सारे अवरोधों का पारकर जब बुच्ची दाय शादी के अवसर पर सहेलिया माय के आंगन में पहुँची तो सबको घोर आश्चर्य हुआ क्योंकि वातावरण तो गोली-पिस्तौल और मामला-मुकदमा तक का हो चुका था। लेकिन बुच्ची दाय के पहुँचते ही सारा खबासटोली स्तब्ध रह गया। सहेलिया मायके सूखे स्तनों में जैसे दूध – उतर आया। लीलावती सहेलिया माय के सीने में अपना चेहरा छिपाए देर तक सुबक-सुबक कर रोती रही। बाढ़ के पानी-सी यह खबर पूरे सोलकन टोले में फैल गई। समूचे टोले के लोग लीलावती को देखने उमड़ पड़े। जिंदगी की ऐसी सार्थकता लीलावती को कभी महसूस नहीं हुई थी। भीतर जैसे आह्वाद का सागर उमड़ रहा था।
प्रश्न 8.
लीलावती खासटोली और बबुआन टोली को तबाह होने से किस प्रकार बचा लेती है?
उत्तर-
विनाशकारी वातावरण में लीलावती ने सोलकन टोली में शादी के अवसर पर पहुंचकर जिस तरह सामाजिक माहौल में परिवर्तन लाया वह प्रशंसनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है। उसके व्यवहार से सोनेलाल के बेटे कलेसर ने लीलावती के पैर छूकर कसम खाई की आज के बाद ये हाथ नहीं उठेंगे। भूल-चूक माफ कर दे। इस तरह सामाजिक सौहार्द्र बनाकर लीलावती ने समाज को तबाह होने से बचा लिया।
प्रश्न 9.
लीलावती अपनी पांच एकड़ जमीन भैया कोन देकर सहेलिया माय के नाम करने का फैसला क्यों करती है?
उत्तर-
लीलावती के विवाह के समय उसके पिता ने पाँच एकड़ जमीन दान में दी थी। वही जमीन गाँव की विरादरी के बीच बैकवार्ड-फारवार्ड की लड़ाई का विषय बन गया था। गाँव में अमन-चैन रहे, शांत वातावरण रहें, सब मिलजुल कर रहें इसी उद्देश्य को लेकर लीलावती ने अपने भाई-भतीजों से वचन लेकर वह पाँच एकड़ जमीन सहेलिया माय के नाम करती है, यह कहकर की दूध का मोल कौन दे सकता है? झगड़ा हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करना ही उद्देश्य है।
प्रश्न 10.
गाँव में दंगा भड़कने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर-
शहर के लोग मौज-मस्ती की जिन्दगी बिताते हैं वहीं गाँव में गरीबी, बेराजगारी की भयानकता है, लोग पारिवारिक बोझ से तंग रहते हैं। उस पर सरकारी नीति का अखाड़ा आरक्षण दंगा भड़काने में सहायक होता है।
व्याख्याएँ
प्रश्न 11.
(क) “तुम्हारी जो पांच एकड़ जमीन है, वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है।”
उत्तर–
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी का पुल’ शीर्षक पाठ से उद्धृत हैं।इसमें लेखक दिवाकर जी ने सामाजिक वैमनस्यता को बड़े ही सजीव ढंग से चित्रित किया है। इनका मानना है कि सारी बुराईयों की जड़ सम्पत्ति है। इससे असंतोष बढ़ता है, वैमनस्यता आती है। लोग मार-काट करते हैं, आपसी भाईचारा समाप्त होता है।
इस प्रसंग में लीलावती के भाई द्वारा पिस्तौल रखने के सवाल पर उनके भाई का यह कथन-समय ही ऐसा आ गया है बुच्ची दाय। अपनी सुरक्षा के लिए यह सब अब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले वाला गाँव नहीं रहा। जब से आरक्षण लागू हुआ है, बैकवार्ड-फारवार्ड की दुर्भावना बुरी तरह फैल गई है। गाँव में जातियों के अलग-अलग संगठन बन गए हैं, निजी सेनाएँ हो गई हैं। जमीन-जायदाद को बचा पाना मुश्किल हो गया है। तुम्हारी वाली पाँच एकड़ जमीन है, वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है, इसी संदर्भ को दर्शाता है।
(ख) “समय ही ऐसा आ गया है बुच्ची दाय! अपनी सुरक्षा के लिए यह सब अब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले जैसा गाँव नहीं रहा।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सुखी नदी का पुल’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखन ने लीलावती द्वारा उठाये गये प्रश्नों का बड़ा ही तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया है।
लेखक ने लीलावती के द्वारा अपने भाई के जेब में रखे पिस्तौल को देखकर बड़े आश्चर्य की बात बताई है। उसे दुखद आश्चर्य होता है कि पहले जहाँ मेरे भइया खादी का कुरता पहन कर सभ्य बने रहते थे। अब उस खादी के कुरते में पिस्तौल गया है। गाँव समाज देश कहाँ जा रहा है। इसी संदर्भ में भैया ने लीलावती को गाँव की बदहाली के लिए राजनीति दलों द्वारा वैकवार्ड-फौरवार्ड की कड़ी भर्त्सना करते हुए पिस्तौल रखने के कारणों से अवगत कराया है।
(ग) सूखी नदी का पुल! पिछली बार आई थी तब नदी में पानी था और सीमेंट की पुल की जगह काठ का पुल था-कठपुल्ला। नदी सूख गई है अब। रेत ही रेत। रेत की नदी।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर लिखित ‘सूखी नदी के पुल’ से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने गाँवों में आये बदलाव का बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया है। लेखक ने उदाहरण देते हुए बताया है कि लीलावती तो पहले स्टेशन पर बैलगाड़ी के बदले जीप देखकर हक्का-बक्का हो गई। फिर जीप में बैठकर – लीलावती दोनों तरफ के भूले-बिसरे टोलों-मुहल्लों को पीछे की ओर भागते हुए रूप में देखती रही। तभी नदी पर सीमेंट का पुल आ गया जो उसके समय में काठ का – पुल था। बड़े आश्चर्य में लीलावती ने अपने उदास मन को इस बदलाव से अवगत कराती है कि मैं जब पिछली बार आई थी तो नदी में पानी था और सीमेंट की जगह काठ का पुल था-कठपुल्ला। अब नदी सूखी हुई है और सीमेंट के पुल बने हुए हैं। सारी चीजें बदल गयीं हैं।
(घ) “जीप जब दरवाजे से आगे बढ़ी तब लीलावती को ऐसा महसूस हुआ जैसे दूध की कोई उमगी हुई उजली नदी है और उस नदी में वह ऊब-डूब रही है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी का पुल’ शीर्षक से उद्धृत है। इसमें लेखक ने बड़े ही कुशल तरीके से बिगड़े समाज के ताने-बाने को लीलावती के माध्यम से सहज, समरूप, शांतमय बातावरण बनाने में सफलता पाई है।
लेखक ने लीलावती के द्वारा भैया को पाँच एकड़ जमीन जो लीलावती को दान में मिली थी सहेलिया के माय के नाम कर देने की शपथ लेकर मजबूर कर देती है तो सारा वातावरण शांत हो जाता है। झगड़ा-फसाद तमाम मुद्दे सदा के लिए अवसान में चले जाते हैं उस वक्त लीलावती के भैया और भतीजे का हृदय परिवर्तन हो जाता है और फारबिस गंज रजिस्ट्री के लिए जाते समय जीप में ड्राइवर की सीट पर नरेश और लीलावती के भैया के खादी के कुर्ते की जेब में पिस्तौल की जगह जमीन के कागजात का पुलिंदा था। उस समय लीलावती को वही उपर्युक्त कथन – महसूस हो रहा था कि जैसे दूध की कोई उमगी हुई उजली नदी है और उस पर नदी में वह ऊब-डूब नहा रही है।
(ङ) “सिर्फ अपना, अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। यह शहर तो है नहीं। यहाँ तो पूरा गाँव रिश्तों-नातों में बंधा होता है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी के पुल’ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने एक मायके गई बेटी के नैहर की वापसी पर हर्षोल्लास और अपनत्व का ऐसा वर्णन प्रस्तुत किया है जो अवर्णनीय है। इसमें लेखक ने लीलावती की मनोदशा का बड़ा ही मार्मिक चित्र प्रस्तुत किया है। लीलावती तेरह-चौदह वर्ष के बाद अपने नैहर लौट रही है वातावरण बहुत बदल चुका है। लेकिन उसे पिछली सारी बातें याद आ रहो – सबरज्यादा याद आ रही है उसे सहेलिया की माँ जिसने उसे अपने स्तन पिसोकर पाला था। वह इस बदले वातावरण से विमुख होकर पूरे गाँव का नैहर मान रही है। इसी संदर्भ में उपर्युक्त तथ्य को लीलावती ने अपने भाई को समझाया है।
(च) “विवाह को उल्लास भरे वातावरण में आँसुओं की यह गंगा-यमुनी बाद! इस बाढ़ में किसका कितना कुछ डूबा, बहां-कौन जाने।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री अमधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी पर पुल’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने सामाजिक वातावरण के बिगड़ने के बाद जो शांति का वातावरण था। वह अब अजनबी बात हो जाती है। उम लेखक ने दशा का बड़ा ही भावनात्मक चित्र प्रस्तुत किया है।। , सामाजिक वातावरण के बिगड़े माहौल में कहीं लोग एक दूसरे के खून के प्यास हैं उस समय लीलावती का सहेलिया माय के पोद्री की शादी में चुपचाप सारी बाधाओं को पार करते हुए पहुँचना बड़े ही आश्चर्य की बात लगता है। सबसे आश्चर्य तो तब होता है जब लीलावती को कोई पहचान भी नहीं पाता है और किसी को इस बात का विश्वास भी नहीं होता है कि इस परिस्थिति में भी ऐसा हो सकता है। सोनेलाल, कलेसर, और सभी पुरुष एवं महिलाएँ लीलावती को अपलक देखती जा रही थी। लीलावती को लग रहा था कि उसके भीतर जैसे आहाद का सागर उमड़ रहा है।
इसी संदर्भ में सभी ने अपने वैर-भाव भुलाकर एक सुन्दर शांत वातावरण बनाने की कसमें खाई सारी हानि-लाभ को भुलाकर।
भाषा की बात
- निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखे
2. निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप लिखे
4. निर्देशानुसार उतर दे
5. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखे
6. पाठ से सहचर शब्द चुने
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