Hello Students and Teachers. Are you searching for the Solutions of Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 4 ? If yes then you have come to the right place. On this page, we have presented you with the Solutions of Chapter 4: लाल पान की बेगम
विषय | हिंदी |
पाठ | 4: लाल पान की बेगम (कहानी) |
लेखक | फणीश्वरनाथ रेनू |
वर्ग | 9th |
भाग | गोधलि भाग-1, गद्य |
Category | Bihar Board Class 9 Solutions |
Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 4
लाल पान की बेगम
प्रश्न 1.
बिरजू की माँ को लालपान की बेगम क्यों कहा गया है?
उत्तर-
नाच की तैयारी के संदर्भ में जिस तरह की तैयारियाँ हो रही हैं और जो उमंग छाया हुआ है उसमें बिरजू के माँ के गौने की साड़ी से एक खास किस्म की गंध निकल रही है जिससे बिरजू की माँ को बेगम ही नहीं ‘लालपान की बेगम’ कहा गया है।
प्रश्न 2.
“नवान्न के पहले ही नया धान जुठा दिया।” इस कथन से बिरजू की माँ का कौन-सा मनोभाव प्रकट हो रहा है?
उत्तर-
जब बिरजू ने धान की एक बाली से एक धान लेकर मुँह में डाल लिया तो बिरजू की माँ ने बिरजू को बहुत डाँटा और कहा कि नेम-धेम की भी चिंता करो, इसकी रक्षा करो। तू तो गँवार है। मूर्ख है। इसपर बिरजू के पिता ने पूछा-क्या हुआ? क्यों डाँटती हो? इसपर बिरजू ने पिता से बिरजू की माँ ने कहा देखते नहीं नवाल के पहले ही अन्न को जूठा कर दिया। इस कथन में बिरजू की माँ ने मन में धर्म के प्रति जो आस्था छिपी है वह प्रकट हो रहा है। वह भारतीय नारी है। धार्मिक विधि विधान की पक्षधर है इसीलिए नवाल के पहले अन्न जूठा करने पर नाराज होकर बिरजू को डाँटती है।
प्रश्न 3.
बिरजू की माँ बैठी मन-ही-मन क्यों कुढ़ रही थी?
उत्तर-
गाँव के लोग नाच देखने जा रहे थे। बिरजू की माँ बैलगाड़ी से नाच देखने बलरामपुर जायगी वह बैलगाड़ी उसके पति लाने गये हैं जिसमें देरी हो रही है और बहुत देरी होने से वह कुढ़ जाती है।, यहाँ तक कि वह घर की बत्ती बुझा देती है, बच्चों को सोने के लिए विवश कर देती है।
प्रश्न 4.
‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लाल पान की बेगम’ कहानी एक आंचलिक और मनोवैज्ञानिक कहानी है। इसमें ग्रामीण परिवेश की गंध छिपी हुई है। नाच-गान देखने-दिखाने के बहाने कहानीकार ने ग्रामीण जीवन के अनेक रंग-वेशे की गहरी संवेदना के साथ प्रकट किया है। गाँव के लोग-बाग किस तरह एक-दूसरे के साथ ईर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद के गहरे आवर्त में बँधे रहते हैं, उसकी जीवंत बानगी है-लाल पान की बेगम।
रेण ने इस आंचलिक कहानी में अंचल विशेष की संस्कृति, भाषा, मुहावरे एवं लोक नीतियों, रीतियों का सफल चित्रण किया है। इस प्रकार ‘लाल पान की बेगम’ अपने आप में सार्थक शीर्षक है।
सप्रसंग व्याख्या
प्रश्न 5.
(क) “चार मन पाट (जूट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पाँव ही नहीं पड़ते।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तिया फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने गरीबों की समस्यायों और उसमें पर समुचित प्रकाश डाला है। उनके जीवन में जो बदलाव आता है उसका ग्रामीण परिवेश में बड़ा ही सुन्दर और सटीक वर्णन प्रस्तुत किया है।
भखनी फुआ पानी भरकर लौटती हुई पनभरनियों से अपनी भाषा में कल की छटपटाहट और अच्छी फसल पाट (जूट) की कमाई से होनेवाले बदलाव का वर्णन करते कहती है कि कल तक तो बिरजू की माँ अकुलाहट में थी, और आज गली-मुहल्ले में लोगों से कहती फिरती है कि बिरजू के वप्पा ने कहा है कि मैं बैलगाड़ी पर बिठाकर तुझे बलरामपुर का नाच दिखाऊँगा।
लोगों की मानसिकता किस प्रकार समय के साथ बदल जाती है, रेणु जी ने इस कहानी में उसका सटीक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
प्रश्न 6.
“दस साल की चंपिया जानती है कि शकरकंद छीलते समय कम-से-कम बार-बार माँ उसे बाल पकड़कर झकझोरेगी, छोटी-छोटी खोट निकालकर गालियां देगी।” इस कथन से चंपिया के प्रति माँ की किस मनोभावना की अभिव्यक्ति होती है?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियां ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत की गई है। प्रस्तुत पंक्तियों में श्री फणीश्वरनाथ ने ग्रामीण समाज और जो साक्षर नहीं है उसकी मानसिकता का बड़ा ही सुंदर चित्र खींचा है।
इस पाठ में रेणुजी ने शकर कंद का उदाहरण देकर समझाया है कि चंपिया नस्ल से बेटी है और छोटी है। शकरकंद कच्चा भी मीठा होता है और पका हुआ तो और मीठा हो जाता है। बच्चा उसे खाने के लिए ललचता है। वह माँ से शकरकंद छीलने के लिए मांगती है तो माँ कहती है कि नहीं, तू एक छीलेगी और तीन पेट में। चंपिया भी जानती है कि उस काम के लिए उसे कितनी प्रताड़ना सहनी होगी। शकरकंद छीलने के बदले वह पड़ोसिन से कड़ाही माँगकर लाने को कहती है जो उससे एक दिन के लिए मांगकर ले गयी थी। उपरोक्त पंक्तियों में चंपिया के प्रति अविश्वास का भाव उसकी माँ के मन में छिपा है। वह शकरकंद छिलने के बहाने चोरी-छिपे कुछ शकरकंद खा जाएगी।
प्रश्न 7.
“बिरजू की माँ का भाग ही खराब है, जो ऐसा गोबर गणेश घरवाला उसे मिला। कौन-सा सौरव-मौज दिया है उसके मर्द ने। कोल्हू के बैल की तरह खरा सारी उम्र काट दी इसके यहाँ।” प्रस्तुत कथन से बिरज की माँ और के संबंधों में कड़वाहट दिखाई पड़ती है। कड़वाहट स्थायी है या अस्थाई? इसके कारणों पर विचार कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ कहानी से उद्धृत है। रेणु ने प्रस्तुत पंक्तियों में ग्रामीण नारी की निरक्षरता का वर्णन करते हुए उसके चरित्र की मनोदशा का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है।
इस कहानी में रेणुजी ने ग्रामीण नारी की मनोदशा का बड़ा ही सचित्र चित्र खींचा है। समय पर नाच देखने के लिए बैलगाड़ी के नहीं पहुँचने पर बिरजू की माँ । की झुंझलाहट का सहसा आभास हो जाता है कि वह अपनी बेटी से कहती है कि चुल्हा में पानी डाल दे, बत्ती बुझा दे। हमारी मनोकामना कब की पूरी होने वाली। खपच्ची गिरा दे, बप्पा बुलाये तो जवाब मत देना।
रेणुजी ने इस अस्थायी कडुवाहट को इतने सटीक ढंग से सजाया है कि कहानी में चार चाँद लग गये हैं। इस कथन में भारतीय नारी की सहजता, सहृदयता, पति के प्रति उलाहना का भाव एवं मूक पीड़ा की अभिव्यक्ति मिलती है।
प्रश्न 8.
गाँव की गरीबी तथा आपसी क्रोध और ईर्ष्या के बीच भी वहाँ एक प्राकृतिक प्रसन्नता निवास करती है। इस पाठ के आधार पर बताएं।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहाने से उद्धृत की गयी है। श्री फणीश्वरनाथ रेण द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ ग्रामीण परिवेश की कहानी है। प्रस्तुत पंक्तियों में रेणु जी ने गांव के वातावरण का सचित्र चित्र खींचा है।
रेणु जी ग्रामीण परिवेश के रचनाकार हैं। उन्होंने वहाँ की भाषा एवं बोली का प्रयोग अपनी रचना में इस तरह किया है कि लगता है कि यह कहानी गांवमय हो गया है। गाँव के लोग छोटी-छोटी बातों में भी राग-द्वेष, बैर-भाव से भर जाते हैं, एक दूसरे से चिढ़ते हैं लेकिन कुछ समय ऐसा भी आता है जब लोग इन सभी बातों को भुलाकर एक साथ हो जाते हैं। जैसे एक-दूसरे के प्रति राग-द्वेष रहते हुए भी जब बिरजू की माँ बैलगाड़ी में बैठती है तो पास-पड़ोस के औरतों को पुकार-पुकारकर बैलगाड़ी पर विठाती है और प्राकृतिक प्रसन्नता का आभास कराती है।
प्रश्न 9.
कहानी में बिरजू और चंपिया की चंचलता और बालमन के कुछ उदाहरण प्रस्तुत करें।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में रेणुजी ने ग्रामीण परिवेश में बालमन की चंचलता, डरावनापन और उल्लास का ऐसा रूप रखा है कि कहानी में आकर्षण पैदा हो गया है।
इस कहानी में चंपिया जो बिरजू की बहन है उसका हलुआइन के दुकान से सामान जल्द न लाने पर माँ की झुंझलाहट, बिरजू द्वारा बांगड़ को मारने पर मां की कड़वाहट, बिरजू और चंपिया द्वारा शकरकंद खाने की लालसा के प्रति मां की गुस्सा करातो आदि बातें ग्रामीण यथार्थ का परिचय है। बालसुलभ मन की अकुलाहट का चित्रण सुक्ष्य ढंग से हुआ है। मार खा लेने बाद भी वह लेने पर दृढ़ है। रेणुजी उचित सुन्दर शब्दों का प्रयोग कर कहानी को रोचक बना दिया है।
प्रश्न 10.
‘लाल पान की बेगम’ कहानी का सारांश लिखें।
उत्तर-
लाल पान की बेगम’ में रेणुजी ने गाँव की धरती का जो सुंदर चित्र खींचा है, वह सबके दिमाग पर अमिट छाप छोड़ जाता है। रेणु ने अपनी गहरी संवदेना का परिचय देते हुए गाँवों के संपूर्ण अंतर्विरोधों और अंगड़ाई लेती हुई चेतना को कथारूप दिया है। उनके गाँव में एक तरफ पुरातन जड़ता और नवीन गत्यात्मकता ही टकराहट है तो दूसरी ओर विभिन्न राजनीतिक आंदोलनों के अंतर्विरोध है, बिरादरीवाद की कड़वाहट है तो तीसरी तरफ इनके बीच बजती हुई लोक संस्कृति की शहनाई भी है।
प्रस्तुत कहानी ‘लाल पान की बेगम’ ग्रामीण परिवेश की कहानी है। नाच देखने-दिखाने के बहाने कहानीकार ने ग्रामीण जीवन के अनेक रंग-देश को गहरी संवेदना के साथ प्रकट किया है। गाँव में लोग-बाग किस तरह एक दूसरे के साथ ईर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद के गहरे आर्वत में बँधे होते है इसकी बानगी उक्त कहानी में मिलती है। नाच-देखने और शकरकंद खाने की इच्छा उसकी जीवंत बानगी है-‘लाल पान की बेगम।
प्रश्न 11.
कहानी के पात्रों का परिचय अपने शब्दों में दीजिए।
उत्तर-
‘लाल पान की बेगम’ कहानी में पात्रों की संख्या अधिक है मगर इसमें बिरजू की माँ, बिरजू, चंपिया, मखनी फुआ, बागड़, सहुआइन इत्यादि प्रमुख पात्र हैं। इन पात्रों में बिरजू की माँ सबसे विशिष्ट पात्र है।
सभी पात्रों में बिरजू की माँ का दबदवा बना हुआ है तो चंपिया और बिरजू उसके डर से सहमे हुए रहते है। सबसे विकट समस्या उस समय उपस्थित होता है जब रात बीत रही है बैलगाड़ी नहीं आयी है तो बिरजू की माँ तानाशाह बन बिरजू और चंपिया को आदेश देती है कि, बती बुझा दे। खप्पर गिरा दे, कोई आवाज दे तो जवाब मत देना। चंपिया और बिरजू भोले बाबा और हनुमान जी को मनौती दूनी करने का वादा करती है।
रेणु जी ने ग्रामीण पात्रों का इतना सुंदर नामकरण और चरित्र को सजाया है कि कहानी रोचक, बन गई है। यह कहानी जनमानस का कंठहार बन गई है सार्थक कहानी है ‘लालपान की बेगम’।
प्रश्न 12.
रेण वातावरण और परिस्थिति का सम्मोहक और जीवंत चित्रण करने में निपुण हैं। इस दृष्टि से रेणु की विशेषताएँ अपने शब्दों में बताइए।
उत्तर-
फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म औराही हिंगना नामक गाँव, जिला अररिया (बिहार) में हुआ था। वे विशुद्ध ग्रामीण परिवेश से जुड़े रहे। वे महान क्रांतिकारी भी थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने प्रमुख सेनानी की भूमिका निभाई और 1950 ई. में नेपाली जनता को राणाशाही के दमन और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशस्त्र क्रांति और राजनीति में सक्रिय योगदान दिया। वे दमन और शोषण के विरुद्ध आजीवन संघर्ष करते रहे। सत्ता के दमनचक्र के विरोध में उन्होंने पद्मश्री की उपाधि का त्याग कर दिया।
हिन्दी कथा साहित्य में जिन कथाकारों ने युगांतर उपस्थित किया है, फणीश्वरनाथ रेणु उनमें से एक हैं। उन्होंने कथा साहित्य के अतिरिक्त, संस्मरण रेखाचित्र. रिपोर्ताज आदि विधाओं को नई ऊँचाई दी। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं-‘मैला आंचल’, ‘परती परिकथा, (दीर्घतपा, ‘कलंक मुक्ति’, ‘जुलूस’, ‘पल्टू बाबू रोड’, उन्होंने उपन्यास, कहानी संग्रह, रिपोर्ताज लिखकर समाज और देश को एक नई दिशा दी है।
रेणुजी का ‘मैला आचंल ‘ ने हिंदी कथा साहित्य में आंचलिकता को एक पारिभाषिक अभिधा दी। उपन्यास और कहानी दोनों कथा रूपों में अपनी लेखनी से गाँव की धरती का जो चित्र खींचा है वह रूबपर आपकी अमिट छाप छोड़ जाता है।
रेणु ने अपनी गहरी संवदेना का परिचय देते हुए गाँव के संपूर्ण अंतविसेधों और अंगड़ाई लेती हुई चेतना को जीवंत कथा रूप दिया।
इन्हीं सारी विशेषताओं के कारण रेणु जी हिन्दी कथा साहित्य में अग्रणी स्थान बना सके।
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