Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद Chapter 10: निम्मो की मौत

Hello Students and Teachers. Are you searching for the Solutions of Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 10 ? If yes then you have come to the right place. On this page, we have presented you with the Solutions of Chapter 10: निम्मो की मौत

विषयहिंदी
पाठनिम्मो की मौत
कविविजय कुमार
वर्ग9th
भागगोधलि भाग-1, पद
CategoryBihar Board Class 9 Solutions

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद Chapter 10

निम्मो की मौत

प्रश्न 1.

निम्मो समाज के किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है ?

उत्तर-
‘निम्मो’ भारतीय समाज के शोषित, पीड़ित वर्ग का प्रतिनिधित्व करती _है। निम्मो, भारतीय समाज की आम जन है। निम्मो के माध्यम से पूरे भारतीय समाज के शोषित, पीड़ित, दमित, दलित जन की पीड़ा, वेदना जिन्दगी की विभिन्न स्थितियों का सम्यक् चित्रण किया गया है।

प्रश्न 2.

कवि ने ‘निम्मो’ की तुलना ‘भींगी हुई चिड़िया’ से क्यों की है ?

उत्तर-
कवि ने अपनी कविता में ‘निम्मो’ की तुलना एक भीगी हुई चिड़िया से किया है। जिस प्रकार भीगे हुए पंख से चिड़िया उड़ नहीं सकती, फुदक नहीं सकती, कुदुक नहीं सकती। वह भींगे पंख के कारण विवश, बेबस हो जाती है क्योंकि भीगे हुए पंख फड़फड़ा नहीं सकते और उसे उड़ने में सहयोग न देकर बाधक बन जाते हैं।

ठीक उसी भींगी हुई चिड़िया की तरह ‘निम्मो’ का भी जीवन है। ‘निम्मो’ एक महानगर की घरेलू नौकरानी है। वह आम-जन है। वह अपने जीवन में गुलाम है क्योंकि नौकर आजाद जिन्दगी नहीं जी सकता। वह अपने स्वामी के अधीन ही जी पाता है। उसकी आजादी, स्वच्छंदता बंधक में पड़ जाती है। इसी कारण निम्मो की स्थिति भीगी हुई चिड़िया जैसी है। वह नौकरी करती है। नौकर का सबकुछ उसका स्वामी होता है बिना उसके वह पलभर भी इधर-उधर नहीं घूम-फिर सकता। अपने मन की बात वह नहीं कर सकता। नौकर बनना ही गुलामी की निशानी है अतः निम्मो आजाद नहीं है। वह गुलामी की जिन्दगी जी रही है। इसी कारण वह विवश है। बेबश है, लाचार है।

प्रश्न 3.

निम्मो को जो यातनाएँ दी जाती थीं, उसे कविता के आधार पर अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर-
निम्मो एक घरेलू नौकरानी थी। वह मुंबई जैसे महानगर में रहती थी। महानगरीय संस्कृति में नौकर की विसात ही क्या? वहाँ भी निम्मो का कोई अपना अस्तित्व नहीं है।

कवि ने ‘निम्मो को जो यातनाएँ उसके मालिक द्वारा दी जाती थी, उसे अपनी आँखों से देखा था। वह उसकी पीडा से. यातना से स्वयं व्यथित था-कवि ख अपनी कविता में लिखा है-हमें मालुम था/लानतों, गाली, घूसों, के बाद/लेटी हुई ठंढे फर्श पर/गए रात जब/उसकी आँखें मूंदती थीं/एक कंपन/पूरी धरती पर पसर जाता था/उसकी थमी हुई हिचकियाँ/उसके पीहर तक/चली जाती थीं।
उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने निम्मों के कारुणिक जीवन-व्यथा को अत्यंत ही करुण भावनाओं के साथ वर्णन किया है। कवि को सब कुछ मालूम था। जब . प्रताड़ना, उपहना, गाली, घूसों से मार-मार कर उसे घायलावस्था में छोड़ दिया जाता था तब वह अधमरी अवस्था में ठंढे फर्श पर आँखें मूंदकर अर्द्ध-बेहोशी की अवस्था में पड़ी रहती थी।

प्रश्न 4.

‘उसकी थमी हुई हिचकियाँ उसके पीहर तक चली जाती थी’ । से कवि का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर-
‘निम्मो मर गई’ कविता में कवि ने प्रताड़ित निम्मो की हिचकियों का चित्रण बड़े ही मार्मिक भाव से किया है।
घोर यंत्रणा से पीड़ित होकर, घायल होकर जब निम्मो ठंढे फर्श पर बीती रात में निढाल बनकर गिर जाती है। तन-मन यंत्रणा की मार से वेदना युक्त हो गया है। पोर-पोर में दर्द और टीस उठ रही है। अत्यधिक रोने के कारण उसकी हिचकियाँ रुकने का नाम नहीं लेंती। लगता है-उसकी हिचकियाँ जो थम-थम कर उठ रही है-उसकी आवाज उसके पीहर यानि मैके (नैहर) तक पहुंच चुकी है। कहने का मूलभाव यह है कि निम्मो केवल मामली घरेल नौकरानी ही नहीं है। उसकी चीखें हिचकियाँ केवल निम्मो की नहीं है। वह तो भारतीय आम जन की पीड़ा है, चीखें हैं, हिचकियाँ हैं।

बेटी के दुख से सबसे ज्यादा पीड़ित मैके यानि नैहर के लोग ही होते हैं क्योंकि शादी के बाद बेटी परायी बन जाती है। दूर चली जाती है दूसरे के वश में जीने-मरने के लिए विवश हो जाती है। इस प्रकार निम्मो भी प्रतीक रूप में धरती की बेटी है। धरती पुत्री है। धरती ही उसके लिए मैके है, नैहर है। अतः जब-जब वह रोते-रोते थक जाती है और हिचकियाँ लेने लगती है तो सारी धरती प्रकंपित हो जाती है। सारी धरती आन्दोलित हो उठती है। निम्मो की पीड़ा भारतीय बेटियों की पीड़ा है। आमजन की पीड़ा है जो अभिशप्त जिन्दगी जीने के लिए विवश है। आधी रात में उसकी पीड़ा से व्यथा से प्रतीत होता था-सारी धरती कपित हो रही है। उसकी व्यथा, दुख-दर्द, सारी पृथ्वी पर पसर गया है, वह जो रोते-रोते सोते हुए हिचकियाँ ले रही है उसकी आवाज उसके मैके यानि नैहर (पीहर) तक पहुँच गयी है। यहाँ पृथ्वी ही उसकी माता है।

सारी पृथ्वी उसकी पीड़ा से व्यथित हो उठी है। उसकी हिचकियों से सारी धरती आन्दोलित हो उठी है। यह एक निम्मो की पीड़ा नहीं है, एक निम्मो की व्यथा नहीं है। यह धरती पर लाखों-करोड़ों निम्मो की पीड़ा, वेदना, कष्ट है जिससे सारी पृथ्वी कपित, आन्दोलित और व्यथित हो चुकी है। यहाँ निम्मो का प्रतीक प्रयोग हुआ है। भारतीय आमजन की व्यथा, पीड़ा वेदना को जीवन की विसंगतियों को, महानगरीय जीवन शैली और प्रभुत्व वर्ग की मनमानी, असंवेदना, निष्ठुरता, अकर्मण्यता, कठोरता का कवि ने यथार्थ चित्रण किया है।

निम्मो को खाने के लिए एक सूखी रोटी, तीन दिन का बासी साग दिया जाता है। क्या यही मानवीयता कहती है? ऐसा तो पशु के साथ भी व्यवहार नहीं किया जाता है। इस कविता में निष्ठुरता ने, संवेदनशून्यता ने सारी सीमाओं का अतिक्रमण कर दिया है। इन्हीं निष्ठुरता और निर्ममता को देखकर कवि का हृदय द्रवित हो उठता है और करुणा से ओत-प्रोत कविता का सृजन कवि करता है।

प्रश्न 5.

इस कविता के माध्यम से कवि ने समाज के किस वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की है ?

उत्तर-
‘निम्मो मर गई’ कविता विजय कुमार द्वारा रचित अत्यंत ही मार्मिक और संवेदना से युक्त कविता है। इस कविता में निम्मो एक प्रतीक के रूप में प्रयुक्त है। ‘निम्मो’ मात्र एक घरेलू नौकरानी नहीं है बल्कि वह कवि की दृष्टि में समाज के अभावग्रस्त वंचित समाज का प्रतिनिधित्व करती है। इस कविता में मानवीय संवेदना का पता चलता है।

समाज के शोषित, दमित, पीड़ित, दलित और अभावग्रस्त समाज के आम जन की पीडा के प्रति संवेदना व्यक्त की गई है। भारतीय समाज में जो अराजकता और अव्यवस्था विद्यमान है, उस ओर भी कवि ने ध्यान आकृष्ट किया है।

. मिहनतकश वर्ग अभाव और दरिंदगी की जिन्दगी जीने के लिए अभिशप्त है। 21वीं सदी के बढ़ते कदम के कारण गाँवों और शहरों में बहुत कुछ परिवर्तन हो चुका है। महानगरीय संस्कृति में जीनेवाले लोग बेचैनी में जी रहे हैं। उनके पास संवेदना और समय दोनों नहीं है। किसी साधारण जन की समस्याओं से वे दूर रहना चाहते हैं। उन्हें उस वर्ग के प्रति प्रेम और दर्द का भाव नहीं दिखता। कवि ने इन्हीं सब कारणों को चिन्हित करते हुए अपनी कविता में आम-जन के प्रति सहानुभूति का भाव प्रकट किया है।

प्रश्न 6.

पूरी धरती पर कंपन पसर जाने का क्या कारण है? स्पष्ट करें।

उत्तर-
‘निम्मो की मौत पर’ नामक कविता में कवि ने आम आदमी की पीड़ा के प्रति सहानुभूति के शब्दों को व्यक्त किया है। कवि का कहना है जब तक _ ‘निम्मो’ के रूप में आम आदमी धरती पर पीड़ित रहेगा, शोषित रहेगा, कष्ट और परेशानियों से जूझता रहेगा, तब तक यह पूरी धरती प्रकर्पित होती रहेगी। इसके कंपन से सारी धरती पीड़ा के दर्द से कराह उठेगी। समग्र संसार आकुल-व्याकुल हो जाएगा। धरती को स्वर्ग के रूप में अगर देखना चाहते हैं।

शांति और अमन से युक्त धरती को देखना चाहते हैं तो हर व्यक्ति को जो साधन-संपन्न है उस आम आदमी के दुख-दर्द में हाथ बँटाना होगा। उसकी पीड़ा को बाँटना होगा। उसके साथ सहानुभूति रखनी होगी। आदमी-आदमी के बीच जबतक भेदभाव, गैर बराबरी, अमानवीयता, निष्ठुरत, निर्ममता के साथ व्यवहार किया जाएगा तब तक धरती अशांतमय रहेगी। अतः कवि का कहना है कि भेद-भाव की खाई को पाटो। आम आदमी के साथ जडकर उसके साथ सहयात्री बनो। उसकी पीडा को अपनी पीडा समझो। सहानुभूति और प्रेम के बल पर ही हम धरती को खुशहाल रख.पाएँगे।

प्रश्न 7.

‘वह चोरों की तरह खाती रही कई बरस’ में कवि ने ‘चोरों की तरह’ का प्रयोग किस उद्देश्य से किया है ?

उत्तर-
‘निम्मो की मौत पर’ नामक कविता में कवि ने ‘निम्मो’ जब खाना खाती थी तब वह चोरों की तरह छिपकर खाती थी। उस दृश्य का चित्रण कवि ने स्पष्ट रूप में अपनी कविताओं में किया है। कवि कहता है कि ‘निम्मो’ चोरों की तरह इस कारण छिपकर खाती थी क्योंकि उसे खाने के लिए एक सूखी रोटी और तीन दिन का बासी साग खाने को दिया जाता था। इस सड़े-गले खाना को कोई देख लेगा तो क्या कहेगा? इसी लोक-लाज से निम्मो चोरों की तरह अँधेरे में छिपकर और दुबककर खाना खाती थी। यहाँ निम्मो को लोक-लाज की चिंता थी किन्तु उस समाज की कतई परवाह नहीं था जिस वर्ग ने निम्मो को ऐसा बासी खाना खाने के लिए दिया था।

इस प्रकार अपनी कविता में भारतीय संस्कृति का स्वरूप दृष्टिगत होता है। खाना परदे में ही खाना चाहिए लेकिन यहाँ कवि के कहने का भाव उपरोक्त पंक्तियों में वर्णित भाव से है। यही कारण है कि कवि ने चोरों की भाँति छिपकर दुबककर खाना खाने के दृश्य को चित्रित किया है।

प्रश्न 8.

और शायद कुछ अनकही प्रार्थनाएँ नींद में-इस पंक्ति में ‘प्रार्थनाओं को अनकही’ क्यों कहा गया है ?

उत्तर-
‘निम्मो की मौत पर’ नामक कविता में निम्मो द्वारा की गई अनकही प्रार्थना पर प्रकाश डाला गया है। कवि ने अपने विचारों को कविता के माध्यम से व्यक्त किया है कि प्रार्थना जोर-जोर से चिल्लाकर नहीं की जाती। प्रार्थना तो मन ही मन हृदय से की जाती है।

यहाँ निम्मो की घायलावस्था की स्थितियों पर कवि काफी द्रवित है और वह कहता है कि निम्मो प्रताड़ना, गाली मार से घायल हो चुकी है। उसका तन ही नहीं मन भी घायलावस्था में है। उसके भीतर हृदय पर जो घाव के चिन्ह हैं वे देखे नहीं जा सकते हैं, महसूस किये जा सकते हैं। . निम्मो घायलावस्था में नींद में बेसुध पड़ी हुई है। कवि देखता है और सोचता है कि निम्मो नींद में ही अव्यक्त भाव से प्रार्थना में मौन है। वह अपनी मक्ति के लिए मौन प्रार्थना कर रही है।

प्रार्थना तो कहकर नहीं की जाती है। निम्मो बेसुध नींद में पड़ी हुई बिना बोले ही प्रार्थना में लीन है। प्रार्थना तो मौन और निर्मल भाव से ही किया जाता है। इस प्रकार निम्मो का जो दृश्य उभरता है उससे प्रतीत होता है कि वह अपने मन में अनकहे शब्दों के द्वारा मौन भाव से प्रार्थना में लीन है। प्रार्थना का नियम ही है-मौन भाव से शुद्ध हृदय से अंतर्मन द्वारा ही बिना शब्दों के प्रार्थना करना।

प्रश्न 9.

और तीस बरस उसे रहना था यहाँ-कहकर कवि हमें क्या बताना चाहता है ?

उत्तर-
कवि की दृष्टि में भारतीय आम आदमी की औसत आयु 60 वर्ष की होती है। ‘निम्मो की मौत पर’ कवि ने अपने भाव को व्यक्त करते हुए कहा है कि निम्मो की अभी उम्र तो 30 वर्ष की हुई थी। निम्मो 30 वर्ष की प्रौढ़ावस्था को छू रही थी। उसे भारतीय औसत आयु के अनुसार तीस वर्ष और रहना चाहिए था किन्तु इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वह 60 वर्ष की उम्र को पार नहीं कर सकी साथ ही असमय में ही मृत्यु की गोद में चली गई। अभी उसे यहाँ जीना था। इस धरती पर रहना था निम्मो की अल्पायु मृत्यु पर कवि हृदय से अफशोस व्यक्त करता है और उसके प्रति सहानुभूति प्रकट करता है।

अपनी काव्य पंक्तियों द्वारा भी कवि समाज की विसंगतियों पर भी अफसोस व्यक्त किया है। यह हमारा समाज कितना क्रूर और निष्ठुर है कि अपने दुर्व्यवहार द्वारा अल्पायु में ही किसी को मरने के पूर्व ही मार देता है। यहाँ भारतीय जनजीवन में व्याप्त अकर्मण्यता, अमानवीयता, दुर्व्यवहार संवेदना को दोषी ठहराते हुए कवि क्षोभ व्यक्त करता है और निम्मो की मृत्यु के माध्यम से आमजन की असामयिक मृत्यु पर चिंता व्यक्त करता है।

प्रश्न 10.

रेत की दीवार की तरह सहसा गिरने की क्या वजह हो सकती है ?

उत्तर-
‘निम्मो की मौत पर’ विजय कुमार द्वारा लिखित आज के ज्वलंत समस्याओं पर ध्यान आकृष्ट करने वाली एक महत्वपूर्ण कविता है। कवि निम्मो की असामयिक मृत्यु पर दुख और क्षोभ व्यक्त करते हुए कहता है कि उसे अभी यहाँ रहना आवश्यक था। कहने का भाव यह है कि उसके मरने की अभी उम्र नहीं थी। अचानक उसका इस धरा से उठ जाने में कई रहस्य छिपे हैं जिनका उद्घाटन कर आमजन को भी बताना आवश्यक है।

जिस प्रकार रेती की दीवार पर विश्वास नहीं किया जा सकता। कभी भी आँधी-पानी, तूफान के बीच वह ध्वस्त हो सकती है। ठीक उसी प्रकार अचानक निम्मो की भी, रेत की दीवार की तरह धराशायी हो जाना अत्यंत ही दुखद है।

निम्मो की जिन्दगी रेत की दीवार की तरह कैसे बनी ? किसने बनायी? इस पर सहसा विश्वास नहीं होता कि निम्मो भी इतना जल्दी मृत्यु को वरण कर लेगी। रेत की दीवार की तरह अचानक निम्मो की मौत हो गई। इस अचानक मृत्यु पर कवि को विश्वास नहीं होता। कवि निम्मो की मौत को अभी रहस्य ही मानता है। निम्मो की मौत की जिम्मेवारी भारतीय समाज के उस प्रभुत्व वर्ग को देना चाहता है जिसके पास अपार धन संपदा तो है लेकिन संवेदना नहीं है वह वर्ग इतना क्रूर, निष्ठुर, निर्मम है कि उसके चंगुल में फंसकर प्रतिदिन अनेक निम्मो मरने के लिए विवश होती है। अकारण ही मौत की मुँह में समा जाती है। इस प्रकार कवि ने अपनी काव्य पंक्तियों द्वारा निम्मो की मौत को रेत की दीवार से तुलना तो करता है किन्तु वह उसके मृत्यु के रहस्य को उद्घाटित भी करना चाहता है। कवि के विचार में निम्मो की मौत सामान्य मौत नहीं मानी जा सकती है।

प्रश्न 11.

निम्मो की मौत पर” शीर्षक कहाँ तक सार्थक है? तर्क सहित उत्तर दीजिए या उत्तर दें।

उत्तर-
‘निम्मो की मौत पर’ शीर्षक से कवि विजय कुमार ने अपनी कविता का सृजन किया है। कविता की मुख्य पात्र निम्मो है जो मुंबई जैसे महानगर में घरेलू नौकरानी के रूप में जीवन व्यतीत करती है। कवि की दृष्टि में निम्मो महानगर के वंचित समाज का प्रतिनिधित्व करती है। भारतीय महानगर में एक प्रभुत्वशाली वर्ग है जो चित जन के प्रति जरा भी संवेदना या दर्द नहीं रखता है। वह निष्ठुर-निर्मम और क्रूर समाज है। वह अपनी धन-संपदा के बीच मौज-मस्ती में जीता है।

इस प्रकार ‘निम्मो की मौत पर’ शीर्षक स्वयं में सार्थक है। इस कविता में कवि ने भारतीय समाज की विसंगतियों के साथ आमजन की पीड़ा और सामाजिक संबंधों की चर्चा ईमानदारी से की है।

निम्मो एक घरेलू नौकरानी है, वह महानगर के बीच रहती है। उसकी जिंदगी भीगी हुई चिड़िया के समान है। वह आजाद नहीं है। वह जिस मालिक के यहाँ काम करती है वह निष्ठुर है। अमानवीय व्यवहार करते हुए वह निम्मो को खाने के लिए एक सूखी रोटी और तीन दिनों का बासी साग देता है। निम्मो उसे चोरों की तरह छिपकर खाती है क्योंकि रुखें सूखे भोजन को दूसरा देख न ले। निम्मो अपनी कुशल क्षेम की चर्चा भी पत्रों द्वारा कभी नहीं करती न अम्मा के पास कोई चिट्ठी ही भेजती है। टेलिफोन से बातें करना भी उसके लिए वर्जित है।

‘निम्मो की मौत पर’ शीर्षक एक यथार्थ और सही शीर्षक है। देश में लाखों निम्मो रोज मरती है. पैदा होती है, लेकिन यह महानगर या आज की अपसंस्कृति में निम्मो की मौत के बारे में सोचने को किसे फुर्सत है। .. भारतीय शोषित पीड़ित आम-जन की प्रतीक निम्मो सचमुच में अपने जीवन की विसंगतियों के साथ उपस्थित होती है और अचानक मृत्यु की गोद में जाकर बैठ जाती है।
इस कविता. में निम्मो के जीवन चरित्र से आम आदमी की पीड़ा, वेदना और जीवन- चर्या की चर्चा की गई है। – ‘निम्मो की मौत पर’ शीर्षक सही और यथार्थपरक शीर्षक है। इसमें निम्मो की मृत्यु भारतीय जन की वंचित समाज की मृत्यु है। कवि ने वचित जन की त्रासदी । की चर्चा करते हुए निम्मो के व्यक्तित्व, सामाजिक हैसियत और विशेष अन्य बातों पर भी ध्यान दिया है।

प्रश्न 12.

“यह शरीर जो तीस बरस से
इस दुनिया में था
और तीस बरस
उसे रहना था यहाँ।”
-यहाँ निम्मो का.कौन-सा दर्द अभिव्यक्त होता है ?

उत्तर-
‘निम्मो की मौत पर’ नामक कविता में कवि ने निम्मो की जिन्दगी की पीड़ा वेदना को व्यक्त किया है। निम्मो का अचानक मर जाना कवि के लिए पीड़ादायी बन जाता है।
निम्मो तीस वर्ष की प्रौढ़ा थी। अभी उसकी उम्र ही क्या हुई थी। वह तो अभी अपनी असली उम्र की दहलीज को छू रही थी।
औसत भारतीय लोगों की उम्र साठ वर्ष है निम्मो भी 30 वर्ष का थी उसे अभी और औसत आयु के मुताबिक 30 वर्ष और इस धरती पर रहना, पन्द्र उसकी अकाल मृत्यु ने 30 वर्ष पूर्व ही हमसे छिन लिया। अचानक उसकी मृत्यु पर सभी लोग गाँव-पीहर चिंतित हो उठे।

कवि कहता है कि निम्मो की उम्र ही क्या हुई थी? वह तो तीम वर्ष की प्रौढ़ा नारी थी। इस दुनिया से वह आगे ही चली गयी जबकि उसे अभी कम से कम 30 वर्ष और अधिक यहाँ रहना चाहिए था। यहाँ कवि निम्मो की मौत पर पीड़ित और चिंतित है। इसी कारण मृत्यु के पूर्व निम्मो के मरने से कवि अत्यधिक दुखी है। वह निम्मो के मरने को लेकर अत्यधिक संवदेनशील है।

असामयिक उम्र से पहले ही निम्मो का मर जाना कवि के लिए पीड़ादायक है। यही निम्मो का मूल दर्द था कि वह अपनी पूरी जिन्दगी बिना जिए ही काल-कवलित हो गयी।

काल ने मृत्यु से पूर्व ही उसे अपने जबड़ा में कस लिया। यहाँ निम्मों की असामयिक और पूरी उम्र बिना भोगे ही मर जाना कवि के लिए सर्वाधिक पीड़ादायी है।
इस प्रकार निम्मो भारतीय समाज की प्रबल प्रतीक के रूप में कविता में विद्यमान है। लाखों-करोड़ों निम्मो, पूरी जिन्दगी बिना भोगे ही प्रतिवर्ष मौत के मुंह में चली जाती है।

Bihar Board Solutions for Class 9 Hindi are available for students who wish to score good marks in their board exams. These solutions are prepared by subject experts and are very helpful for students to understand the concepts properly and score well in their exams. Bihar Board Solutions for Class 9 Hindi cover all the chapters of the Bihar Board textbook prescribed for class 9 students. The solutions are designed in such a way that they help students to understand the concepts easily and solve the questions quickly.

Bihar Board Solutions for Class 9 Hindi उन छात्रों के लिए उपलब्ध है जो अपनी बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते हैं। ये समाधान विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए हैं और छात्रों के लिए अवधारणाओं को ठीक से समझने और अपनी परीक्षा में अच्छा स्कोर करने में बहुत मददगार हैं। कक्षा 9 हिंदी के लिए Bihar Board Solutions for Class 9 Hindi के छात्रों के लिए निर्धारित बिहार बोर्ड की पाठ्यपुस्तक के सभी अध्यायों को कवर करता है। समाधान इस तरह से डिज़ाइन किए गए हैं कि वे छात्रों को अवधारणाओं को आसानी से समझने और प्रश्नों को जल्दी हल करने में मदद करते हैं।

Leave a Comment