Hello Students and Teachers. Are you searching for the Solutions of Bihar Board Class 9 Science Chapter 11? If yes then you have come to the right place. On this page, we have presented you with the Solutions of Chapter 11: कार्य तथा ऊर्जा
Subject | Science |
Chapter | 11. कार्य तथा ऊर्जा |
Class | Ninth |
Part | Physics |
Category | Bihar Board Class 9 Solutions |
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11:
कार्य तथा ऊर्जा
प्रश्न 1.
निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
सूमा एक तालाब में तैर रही है।
एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
एक हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।
उत्तर:
निम्न दो शर्तों के पूर्ण होने पर कार्य किया जाता है –
वस्तु पर बल लग रहा हो।
बल की दिशा या उसकी विपरीत दिशा में बल लगाने पर वस्तु का विस्थापन हो।
(a) तैरते समय, पानी को पीछे धकेलने के लिए बल लगाती है। अतः पानी भी सूमा पर उतना ही प्रतिक्रिया बल विपरीत दिशा में लगाता है जिसके प्रभाव से वह आगे बढ़ती है। यहाँ बल द्वारा विस्थापन होता है। अतः सूमा द्वारा तैरते समय कार्य किया जाता है।
(b) बोझा उठाते समय गधे को ऊपर की दिशा में बल लगाना पड़ता है। किन्तु बल द्वारा कोई विस्थापन नहीं हो रहा अतः गधे द्वारा शून्य कार्य हो रहा है।
(c) एक पवन चक्की कुएँ से पानी निकालने में गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध कार्य कर रही है। अतः पवन चक्की द्वारा कार्य किया जा रहा है।
(d) यहाँ पौधे की पत्तियों का विस्थापन नहीं हो रहा अतः कार्य नहीं हो रहा।
(e) इंजन द्वारा ट्रेन पर बल लगाया जा रहा है जिसके फलस्वरूप ट्रेन का बल की दिशा में विस्थापन हो रहा है। अतः इंजन द्वारा कार्य हो रहा है।
(f) अनाज के दाने सूर्य के प्रकाश में विस्थापित नहीं हो रहे। अतः उनके सूर्य की धूप में सूखने में शून्य कार्य हो रहा है।
(g) पवन ऊर्जा के द्वारा लगाए जाने वाले बल के कारण पाल – नाव गति करती है। अत: पाल-नाव का विस्थापन बल की दिशा में हो रहा है। अत: पवन द्वारा नाव पर कार्य हो रहा है।
प्रश्न 2.
एक पिण्ड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिण्ड के पथ के प्रारम्भिक तथा अन्तिम बिन्दु एकही क्षैतिज रेखा पर स्थित है। पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया ?
उत्तर:
किसी वस्तु पर गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य ऊर्ध्वाधर विस्थापन पर निर्भर करता है। ऊर्ध्वाधर विस्थापन वस्तु की प्रारम्भिक व अन्तिम ऊँचाई के बीच के अन्तर द्वारा ज्ञात किया जाता है। यहाँ वह शून्य है। गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य W = mgh
जहाँ, h = ऊर्ध्वाधर विस्थापन = 0
w = mg = 0J
अतः पिण्ड पर गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य है।
प्रश्न 3.
एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब बल्ब को बैटरी से जोड़ा जाता है तो बैटरी की रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है। बल्ब इस विद्युत ऊर्जा को प्रकाश व ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित करता है। अतः प्रक्रम में ऊर्जा परिवर्तन हुए।
रासायनिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा → प्रकाश → ऊष्मा
प्रश्न 4.
20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला बल इसके वेग को 5 ms-1 से 2 ms-1 में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल:
प्रश्न 5.
10 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड मेज पर A बिन्दु पर रखा है। इसे B बिन्दु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यहाँ शून्य कार्य हुआ क्योंकि गुरुत्वीय बल व विस्थापन एक-दूसरे के क्षैतिज (perpendicular) हैं।
प्रश्न 6.
मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है ? कारण बताइए।
उत्तर:
नहीं, इस प्रक्रम में ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता। क्योंकि जब कोई वस्तु गिरती है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है। स्थितिज ऊर्जा में कमी गतिज ऊर्जा में बढ़त के बराबर होती है। इस प्रक्रम में कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है। अत: ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता।
प्रश्न 7.
जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपान्तरण होते हैं ?
उत्तर:
साइकिल चलाते समय चलाने वाले की पेशीय ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा व साइकिल की गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है। ऊष्मीय ऊर्जा चालक के शरीर को गर्म करती है व गतिज ऊर्जा साइकिल को गति प्रदान करती है। ऊर्जा रूपान्तरण को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
पेशीय ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा + गतिज ऊर्जा
इस पूरे प्रक्रम में कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।
प्रश्न 8.
जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है ? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती
उत्तर:
जब हम एक चट्टान को धकेलने की कोशिश करते हैं तो हमारी पेशीय ऊर्जा का चट्टान पर स्थानान्तरण नहीं होता। ऊर्जा का व्यय भी नहीं होता क्योंकि पेशीय ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है जिसके कारण हमारा शरीर गर्म हो जाता है।
प्रश्न 9.
किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिटें व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी ?
हल:
1 यूनिट ऊर्जा = 1 किलोवाट घण्टा (kWh)
1 kWh = 3.6 x 106 J
अतः, 250 यूनिट ऊर्जा = 250 x 3.6 x 106
= 9.0 x 108J
प्रश्न 10.
40 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड धरती से 5 m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है ? यदि पिण्ड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g= 10 ms-2)
हल:
स्थितिज ऊर्जा को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है –
W = mgh
h = ऊर्ध्वाधर विस्थापन = 5 m
m = वस्तु का द्रव्यमान = 40 kg
g = गुरुत्वीय त्वरण = 10 m/s-2
W = 40 x 5 x 10 = 2000 J
जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर होगा तब उसकी स्थितिज ऊर्जा = 2000 / 2 = 1000 J, इस बिन्दु पर उसकी स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा के बराबर होगी। यह ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार है। अत: ठीक आधे रास्ते पर उसकी गतिज ऊर्जा 1000J होगी।
प्रश्न 11.
पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा ? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर लगने वाले गुरुत्वीय बल की दिशा उसके विस्थापन के क्षैतिज (perpendicular) होती है। अत: उपग्रह पर पृथ्वी के गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
प्रश्न 12.
क्या किसी पिण्ड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में इसका विस्थापन हो सकता है ? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर
हाँ, एक समान गति से गतिशील पिण्ड में बल की अनुपस्थिति में विस्थापन हो सकता है। यदि कोई पिण्ड स्थिर वेग से गतिशील है तो उस पर लगने वाला नेट बल शून्य होगा। परन्तु पिण्ड की गति की दिशा में विस्थापन होगा। अतः बल के बिना भी विस्थापन सम्भव है।
प्रश्न 13.
कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं ? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है –
(i) वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए
(ii) वस्तु विस्थापित होनी चाहिए, बल की या उसके विपरीत दिशा में। – जब कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर रखे रहता है तो भूसे के ढेर में कोई विस्थापन नहीं होता। गट्ठर पर गुरुत्वीय बल कार्य कर रहा है, पर मनुष्य उस पर कोई बल नहीं लगा रहा। अतः बल की अनुपस्थिति में मनुष्य द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
प्रश्न 14.
एक विद्युत हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा ?
हल:
विद्युत हीटर द्वारा उपयोग की गई ऊर्जा को निम्न व्यंजक द्वारा ज्ञात किया जा सकता है
P = W/T
हीटर की घोषित शक्ति, P = 1500 W = 1.5kw
हीटर के उपयोग का समय, T = 10 h
किया गया कार्य = उपयोग की गई ऊर्जा
उपयोग की गई ऊर्जा = शक्ति x समय
= 1.5 x 10 = 15 kWh
अतः हीटर 15 kWh ऊर्जा 10 घण्टे में उपयोग करेगा।
प्रश्न 15.
जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समयपश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है ? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है ? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है ?
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित हो सकती है। न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश। रूपान्तरण के पहले व रूपान्तरण के पश्चात् कुल ऊर्जा सदैव अचर रहती है। सरल लोलक के गोलक का उदाहरण लेते हैं –
जब गोलक अपनी प्रारम्भिक स्थिति P से स्थिति A या B पर पहुँचता है तो यह अपनी स्थिति P से h ऊँचाई तक जाता है। इस बिन्दु पर उसकी समस्त गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है व स्थितिज ऊर्जा शेष रहती है। अब जब गोलक बिन्दु P पर वापस आता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जाती है व गतिज ऊर्जा शेष रहती है। ऊर्जा का यह रूपान्तरण गोलक के दोलन के दौरान चलता रहता है।
गोलक का दोलन हमेशा नहीं चलता, वरन् कुछ समय पश्चात् वह विराम अवस्था में आ जाता है। हवा उसकी गति का प्रतिरोध करती है। गोलक की गतिज ऊर्जा घर्षण के प्रभाव के कारण कम होती है व वह कुछ समय पश्चात् रुक जाता है। यहाँ ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता क्योंकि गोलक द्वारा घर्षण को पार करने में व्यय ऊर्जा वातावरण द्वारा प्राप्त की जाती है। अतः गोलक व वातावरण की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।
प्रश्न 16.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड नियत वेग । से गतिशील है। पिण्ड पर कितना कार्य करना चाहिए कि वह विराम अवस्था में आ जाए ?
उत्तर:
m द्रव्यमान का एक पिण्ड जो एक नियत वेग v से गतिशील है, उसकी गतिज ऊर्जा होगी
Ek = 12mv2
पिण्ड को विराम अवस्था में लाने के लिए उस पर 1 / 2 mv2 जितना कार्य करना होगा।
प्रश्न 17.
1500 kg द्रव्यमान की कार को, जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल:
प्रश्न 18.
निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिण्ड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लम्बे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
उत्तर:
I दशा – इस दशा में बल की दिशा पिण्ड के विस्थापन के लम्बवत् (perpendicular) है। अत: पिंड पर बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
II दशा – इस दशा में, बल विस्थापन की दिशा में लग रहा है। अत: बल द्वारा पिण्ड पर किया गया कार्य धनात्मक होगा।
III दशा – इस दशा में बल विस्थापन की विपरीत दिशा में लग रहा है। अतः पिण्ड पर किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।
प्रश्न 19.
सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं ? बताइए, क्यों ?
उत्तर:
किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। ऐसा तब होता है जब उस पर लगने वाले सभी बल एक-दूसरे के विपरीत हों या नेट बल शून्य हो। एकसमान गति से गतिमान वस्तु पर लगने वाला नेट बल शून्य होता है। अतः वस्तु पर शून्य त्वरण लगता है। सोनी का कथन सही है।
प्रश्न 20.
चार युक्तियाँ जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500W है, 10 घण्टे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा kWh में परिकलित कीजिए।
हल:
किसी युक्ति द्वारा व्यय की ऊर्जा शक्ति के सूत्र से ज्ञात की जा सकती है।
P = W/T
जहाँ शक्ति, P = 500 W = 0.50 kW
समय, T = 10 h
किया गया कार्य = व्यय की गई ऊर्जा
अत: व्यय की गई ऊर्जा = शक्ति x समय
= 0.50 x 10 = 5 kWh
अतः चार समान शक्ति वाली युक्तियों द्वारा व्यय की गई ऊर्जा
= 5 x 4 = 20 kWh = 20 यूनिट
प्रश्न 21.
मुक्त रूप से गिरता एक पिण्ड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है ?
उत्तर:
जब कोई पिण्ड मुक्त रूप से धरती पर गिरता है तब उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है। उसकी स्थितिज ऊर्जा कम होती है व गतिज ऊर्जा बढ़ती है। जब पिण्ड धरती पर पहुँचने वाला होता है तो ऊँचाई h = 0 तथा इस अवस्था में वस्तु का वेग अधिकतम होगा। अत: गतिज ऊर्जा अधिकतम तथा स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होगी। किन्तु जैसे ही पिण्ड धरती को स्पर्श करेगा, उसकी गतिज ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा व ध्वनि में रूपान्तरित हो जाती है। यह पृथ्वी के तल को नुकसान भी पहुंचा सकता है यदि इसकी गतिज ऊर्जा काफी अधिक है या पृथ्वी का तल नर्म है।
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