Hello Students and Teachers. Are you searching for the Solutions of Bihar Board Class 10 Geography Chapter 1A? If yes then you have come to the right place. On this page, we have presented you with the Solutions of Chapter 1A: प्राकृतिक संसाधन.
Subject | Geography (भूगोल) |
Chapter | 1A. प्राकृतिक संसाधन |
Class | Tenth |
Category | Bihar Board Class 10 Solutions |
Bihar Board Class 10 Geography Chapter 1A Solutions
प्राकृतिक संसाधन
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. पंजाब में भूमि निम्नीकरण का मुख्य कारण है ?
(क) वनोन्मूलन
(ख) गहन खेती
(ग) अतिपशुचारण
(घ) अधिक सिंचाई
उत्तर- (क) वनोन्मूलन
प्रश्न 2. सोपानी कृषि किस राज्य में प्रचलित है ?
(क) हरियाणा
(ख) पंजाब
(ग) बिहार का मैदानी क्षेत्र
(घ) उत्तराखंड
उत्तर- (ग) बिहार का मैदानी क्षेत्र
प्रश्न 3. मरुस्थलीय मृदा का विस्तार निम्न में से कहाँ है ?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) राजस्थान
(ग) कर्नाटक
(घ) महाराष्ट्र
उत्तर- (ख) राजस्थान
प्रश्न 4. मेढक के प्रजनन को नष्ट करने वाला रसायन कौन है ?
(क) बेंजीन
(ख) यूरिया
(ग) एड्रिन
(घ) फास्फोरस .
उत्तर- (ग) एड्रिन
प्रश्न 5. काली मृदा का दूसरा नाम क्या है ?
(क) बलुई मिट्टी
(ख) रेगुर मिट्टी
(ग) लाल मिट्टी
(घ) पर्वतीय मिट्टी
उत्तर- (ख) रेगुर मिट्टी
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. जलोढ़ मिट्टी के विस्तार वाले राज्यों के नाम बतावें। इस मृदा में कौन-कौन सी फसलें लगायी जा सकती हैं ?
उत्तर- भारत में जलोढ़ मिट्टी का व्यापक फैलाव उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पाया जाता है। यह मिट्टी उपजाऊ होती है, जिसमे गेहूँ, धान, गन्ना, दलहन और सब्जियों जैसी कई महत्वपूर्ण फसलें उगाई जा सकती हैं।
प्रश्न 2. समोच्च कृषि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- समोच्च कृषि एक ऐसी कृषि पद्धति है, जिसमें खेतों को ढलान के आकार में बनाया जाता है। यह बारिश के पानी को तेजी से बहने और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करता है. समोच्च में बनाई गई नालियां और मेड़ें पानी को रोके रखने और खेत में समान रूप से वितरित करने में सहायक होती हैं, जिससे फसलों को अधिक लाभ मिलता है।
प्रश्न 3. पवन अपरदन वाले क्षेत्र में कृषि की कौन-सी पद्धति उपयोगी मानी जाती है?
उत्तर- पवन अपरदन वाले क्षेत्रों में पट्टिका कृषि सबसे उपयोगी मानी जाती है। इस पद्धति में फसलों के बीच में घास की पट्टियां उगाई जाती हैं। ये घास की पट्टियां तेज हवाओं को रोकती हैं और मिट्टी के अपरदन को कम करती हैं।
प्रश्न 4. भारत के किन भागों में डेल्टा का विकास हुआ है ? वहाँ की मदा की क्या विशेषता है?
उत्तर- भारत में कई प्रमुख नदियां डेल्टा बनाती हैं, खासकर पूर्वी तट पर। इनमें गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा (पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश) और महानदी डेल्टा (ओडिशा) प्रमुख हैं। पश्चिमी तट पर नर्मदा और कावेरी भी छोटे डेल्टा बनाती हैं।
वहां की मिट्टी आमतौर पर जलोढ़ मिट्टी होती है, जो बहुत उपजाऊ होती है। यह मिट्टी हल्की से लेकर बलुई मिट्टी तक विविध हो सकती है और इसमें सड़ी हुई वनस्पतियां भी मिलीं हो सकती हैं। यही कारण है कि ये क्षेत्र कृषि के लिए बहुत उपयुक्त माने जाते हैं।
प्रश्न 5. फसल चक्रण मृदा संरक्षण में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर- फसल चक्रण मिट्टी के लिए बहुत फायदेमंद है। अलग-अलग फसलें मिट्टी से अलग-अलग पोषक तत्व लेती हैं। एक ही तरह की फसल बार-बार उगाने से एक खास पोषक तत्व की कमी हो जाती है। फसल चक्रण से हम विभिन्न पोषक तत्व लेने वाली फसलें लगाते हैं, जिससे मिट्टी के सभी पोषक तत्व संतुलित रहते हैं। साथ ही, कुछ फसलें (जैसे दलहन) वायुमंडल से नाइट्रोजन जमीन में जमा करती हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. जलाक्रांतता कैसे उपस्थित होता है ? मृदा अपरदन में इसकी क्या भूमिका है ?
उत्तर- जलाक्रांतता तब होती है जब किसी क्षेत्र में जमीन जल से भर जाती है और लंबे समय तक जल निकास नहीं हो पाता. इसकी कई वजह हो सकती हैं, जिनमें से मुख्य है:
- अति सिंचाई: खेतों में जरूरत से ज्यादा सिंचाई करने से जमीन में पानी जमा हो जाता है, जो निकल नहीं पाता.
यह जलाक्रांतता मृदा अपरदन को बढ़ावा देती हैI - मिट्टी की उर्वरता कम होती है: जमीन में हमेशा पानी रहने से हवा का संचार कम हो जाता है. इससे मिट्टी के पोषक तत्व घुलकर बह जाते हैं और फसल उगाने की क्षमता कम हो जाती हैI
- लवणीयता और क्षारीयता बढ़ती है: जलाक्रांतता के कारण मिट्टी में लवण जमा हो जाते हैं, जिससे जमीन बंजर हो सकती है.
इसलिए जलाक्रांतता को रोकने के लिए सिंचाई का सही प्रबंधन जरूरी है.
प्रश्न 2. मृदा संरक्षण पर. एक निबंध लिखिए।
उत्तर- पृथ्वी पर जीवन का आधार मृदा अर्थात मिट्टी है। फसलें उगाने, जंगल पनपने और स्वच्छ जल प्राप्त करने के लिए उपजाऊ मिट्टी अनिवार्य है। लेकिन प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय क्रियाकलापों के कारण मिट्टी का क्षरण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।
मृदा संरक्षण का अर्थ है मिट्टी के अपरदन को रोकना और उसकी उर्वरता बनाए रखना। वृक्षारोपण करके वनों का संरक्षण मिट्टी के कटाव को रोकने में सहायक होता है। वनों की जड़ें मिट्टी को पकड़े रखती हैं और तेज हवाओं तथा वर्षा से होने वाले क्षरण को कम करती हैं।
उचित कृषि पद्धतियों को अपनाकर भी मिट्टी बचाने में मदद मिलती है। फसल चक्र अपनाने से मिट्टी के पोषक तत्वों की कमी को रोका जा सकता है। साथ ही, जुताई कम करने से मिट्टी का ऊपरी उपजाऊ層 (ऊपरी सतह) सुरक्षित रहता है। खेतों की मेड़ों पर घास लगाने से मिट्टी बहने से रुकती है।
जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए मृदा संरक्षण आवश्यक है। हमें सबको मिलकर मिट्टी बचाने के प्रयास करने चाहिए।
प्रश्न 3. भारत में अत्यधिक पशुधन होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका योगदान लगभग नगण्य है। स्पष्ट करें।
उत्तर- यह सच है कि भारत में पशुधन की संख्या बहुत अधिक है, लेकिन दुर्भाग्यवश भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका योगदान अभी भी कम है। इसके कई कारण हैं:
- पशुओं की कम उत्पादकता: भारत में अधिकांश पशु देसी नस्ल के होते हैं, जिनकी दूध देने की क्षमता या मांस की गुणवत्ता विदेशी नस्लों से कम होती है।
- पशुओं के रख-रखाव में कमी: पशुओं को अक्सर कम खुराक और अपर्याप्त आश्रय मिलता है, जिससे उनका स्वास्थ्य खराब होता है और उत्पादन कम हो जाता है।
- पशु चिकित्सा सुविधाओं की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सकों और दवाओं की कमी पशुओं के रोगों को फैलने देती है और उनकी उत्पादकता को कम करती है।
- असंगठित बाजार: दूध और मांस जैसे पशु उत्पादों का बड़ा हिस्सा असंगठित बाजार के माध्यम से बेचा जाता है, जिससे किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है।
इन समस्याओं को दूर करने के लिए बेहतर नस्ल के पशुओं को अपनाने, पशुओं के आहार और आवास पर ध्यान देने, पशु चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार करने और संगठित बाजारों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
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