Hello Students and Teachers. Are you searching for the Solutions of Bihar Board Class 10 Geography Chapter 1C? If yes then you have come to the right place. On this page, we have presented you with the Solutions of Chapter 1C: वन एवं वन्य प्राणी संसाधन.
Subject | Geography (भूगोल) |
Chapter | 1C. वन एवं वन्य प्राणी संसाधन |
Class | Tenth |
Category | Bihar Board Class 10 Solutions |
Bihar Board Class 10 Geography Chapter 1C Solutions
वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. भारत में 2001 में कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में वन का विस्तार है?
(क) 25
(ख) 19.27
(ग).20
(घ) 20.60
उत्तर- (ख) 19.27
प्रश्न 2. वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार भारत में वन का विस्तार है।
(क) 20.60% भौगोलिक क्षेत्र में
(ख) 20.55% भौगोलिक क्षेत्र में
(ग) 20% भौगोलिक क्षेत्र में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ख) 20.55% भौगोलिक क्षेत्र में
प्रश्न 3. बिहार में कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में वन का फैलाव है ?
(क) 15
(ख) 20
(ग) 10
(घ) 5
उत्तर- (घ) 5
प्रश्न 4. पूर्वोत्तर राज्यों के 188 आदिवासी जिलों में देश के कुल क्षेत्र का कितना प्रतिशत वन
(क) 75
(ख) 80.05
(ग) 90.03
(घ) 60.11
उत्तर- (घ) 60.11
प्रश्न 5. किस राज्य में वन का सबसे अधिक विस्तार है ?
(क) केरल
(ख) कर्नाटक
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) उत्तर प्रदेश
उत्तर- (ग) मध्य प्रदेश
प्रश्न 6. वन संरक्षण एवं प्रबंधन की दृष्टि से वनों को वर्गीकृत किया गया है
(क) 4 वर्गों में
(ख) 5 वर्गों में
(ग) 5 वर्गों में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ख) 5 वर्गों में
प्रश्न 7. 1951 से 1980 तक लगभग कितना वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र कृषि-भूमि में परिवर्तित हुआ?
(क) 30,000
(ख) 26,200
(ग) 25,200
(घ) 35,500
उत्तर- (ख) 26,200
प्रश्न 8. संविधान की धारा 21 का संबंध है
(क) वन्य जीवों तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण
(ख) मृदा संरक्षण
(ग) जल संसाधन संरक्षण
(घ) खनिज सम्पदा संरक्षण
उत्तर- (क) वन्य जीवों तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण
प्रश्न 9. एक ए ओ की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में कितने हेक्टेयर भूमि पर वन का विस्तार था।
(क) 6 अरब हेक्टेयर
(ख) 4 अरब हेक्टेयर
(ग) 8 अरब हेक्टेयर में
(घ) 5 अरब हेक्टेयर में
उत्तर- (ख) 4 अरब हेक्टेयर
प्रश्न 10. प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण 1968 में कौन-सा कनवेंशन हुआ था?
(क) अफ्रीकी कनवेंशन
(ख) वेटलैंड्स कनवेंशन
(ग) विश्व आपदा कनवेंशन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (क) अफ्रीकी कनवेंशन
प्रश्न 11. इनमें कौन-सा जीव है जो केवल भारत ही में पाया जाता है ?
(क) घड़ियाल
(ख) डॉलफिन
(ग) ह्वेल
(घ) कछुआ
उत्तर- (ख) डॉलफिन
प्रश्न 12. भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।
(क) कबूतर
(ख) हंस
(ग) मयूर
(घ) तोता
उत्तर- (ग) मयूर
प्रश्न 13. मैंग्रोव्स का सबसे अधिक विस्तार है
(क) अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह के तटीय भाग में
(ख) सुन्दरवन में
(ग) पश्चिमी तटीय प्रदेश में
(घ) पूर्वोत्तर राज्य में
उत्तर- (ख) सुन्दरवन में
प्रश्न 14. टेक्सोल का उपयोग होता है
(क) मलेरिया में
(ख) एड्स में
(ग) कैंसर में
(घ) टी.बी. के लिए
उत्तर- (ग) कैंसर में
प्रश्न 15. ‘चरक’ का संबंध किस देश से था?
(क) म्यनमार से
(ख) श्रीलंका से
(ग) भारत से
(घ) नेपाल से
उत्तर- (ग) भारत से
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. बिहार में वन सम्पदा की वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर- बिहार में वन सम्पदा की स्थिति चिंताजनक है। कुल क्षेत्रफल का मात्र 7.30% ही वन क्षेत्र है। हालांकि सरकार द्वारा वृक्षारोपण के प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी वनों की कटाई और अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है। इससे ना सिर्फ जैव विविधता को खतरा है, बल्कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ जाता है।
प्रश्न 2. वन विनाश के मुख्य कारकों को लिखें।
उत्तर- वन विनाश के दो मुख्य कारक हैं:
(1). वृक्षों की अंधाधुंध कटाई: फर्नीचर, कागज, और ईंधन के लिए पेड़ों को बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है। इससे वन क्षेत्र लगातार कम होता जा रहा है।
(2). अतिक चराई: पशुओं को चराने के लिए जंगलों में अत्यधिक चराई की जाती है, जिससे वनस्पति को पर्याप्त मात्रा में उगने का मौका नहीं मिलता और धीरे-धीरे वन क्षेत्र कम होता जाता है।
प्रश्न 3. वन के पर्यावरणीय महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर- वन हमारे पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये वायु को शुद्ध करते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। वन मिट्टी के अपरदन को रोकते हैं तथा बाढ़ नियंत्रण में सहायक होते हैं। ये जंगली जीवों के आवास हैं और हमें औषधीय पौधे तथा लकड़ी जैसे संसाधन प्रदान करते हैं।
प्रश्न 4. वन्य-जीवों के ह्रास के चार प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- वन्य-जीवों के ह्रास के चार प्रमुख कारक हैं:
- आवास का विनाश: वनों की कटाई, जलाशयों का सूखना, और घास के मैदानों का कृषि भूमि में बदलना जंगली जानवरों के रहने के स्थान को खत्म कर देता है।
- अत्यधिक शिकार: मांस, खाल, या शरीर के अंगों के लिए अत्यधिक शिकार कुछ प्रजातियों को विलुप्त होने के कगार पर ला खड़ा कर देता है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष: भोजन या इलाके के लिए जंगली जानवरों का मनुष्यों से टकराव उनके मारे जाने का कारण बनता है।
- प्रदूषण: जल, वायु और मिट्टी का प्रदूषण वन्यजीवों के भोजन और रहने के वातावरण को दूषित करता है, जिससे उनकी संख्या घटती है।
प्रश्न 5. वन और वन्य जीवों के संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- भारत में सदियों से चली आ रही कई परंपराएं वन और वन्य जीवों के संरक्षण में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ समुदाय विशेष पेड़ों जैसे पीपल, वट, महुआ आदि की पूजा करते हैं, जिससे उनका संरक्षण होता है। साथ ही, कुछ क्षेत्रों में विशिष्ट मौसमों में शिकार पर रोक लगाई जाती है, जिससे वन्य जीवों को पनपने का मौका मिलता है। ये परंपराएं पर्यावरण के साथ सद्भाव बनाए रखने का संदेश देती हैं।
प्रश्न 6. चिपको आन्दोलन.क्या है ?
उत्तर- चिपको आंदोलन भारत में वृक्षों और वनों के संरक्षण के लिए चलाया गया एक प्रमुख पर्यावरण आंदोलन था। 1970 के दशक में महिलाओं ने इसमें अहम भूमिका निभाई। पेड़ों को काटने से बचाने के लिए वे पेड़ों से紧紧 चिपक जाती थीं। इसी कारण इसे चिपको आंदोलन का नाम दिया गया। इस आंदोलन का पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
प्रश्न 7. कैंसर रोग के उपचार में वन का क्या योगदान है ?
उत्तर- वन कई तरह से कैंसर के इलाज में मददगार हैं। कई दवाइयां पेड़-पौधों से आती हैं, जिनका इस्तेमाल कैंसर के इलाज में किया जाता है. साथ ही, जंगलों में शोधकर्ता लगातार नए पौधों की खोज कर रहे हैं, जिनमें से भविष्य में नई दवाइयां बन सकती हैं. इसलिए, वनों का संरक्षण कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रश्न 8. दस लुप्त होने वाली पशु-पक्षियों का नाम लिखिए।
उत्तर- भारत में कई पशु-पक्षी लुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे हैं। दस उदाहरण हैं:
- बंगाल बाघ (Royal Bengal Tiger)
- एशियाई शेर (Asiatic Lion)
- एक सींग वाला गैंडा (One-Horned Rhinoceros)
- हिम तेंदुआ (Snow Leopard)
- काला हिरण (Blackbuck)
- लंगूर (Lion-tailed Macaque)
- नीलगिरी तहर (Nilgiri Tahr)
- गौर (Indian Bison)
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard)
- गंगा डॉल्फिन (Gangetic Dolphin)
प्रश्न 9. वन्य जीवों के हास में प्रदूषण जनित समस्या पर अपना विचार स्पष्ट करें।
उत्तर- प्रदूषण वन्य जीवों के लिए एक गंभीर खतरा है। यह जलीय और वायु प्रदूषण के रूप में वासस्थानों को नष्ट कर देता है, साथ ही खाद्य श्रृंखला में विषाक्त पदार्थों को भी पहुंचाता है। इससे वन्य जीवों की बीमारियाँ बढ़ती हैं, उनके प्रजनन में कमी आती है, और अंततः विलुप्त होने का खतरा बन जाता है।
प्रश्न 10. भारत के दो प्रमुख जैवमंडल क्षेत्र का नाम क्षेत्रफल एवं प्रान्तों का नाम बतावें।
उत्तर-
- नीलगिरि -5520
- वर्ग किमी – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक।
- मानस-2,837 वर्ग किमी – असम।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. वन एवं वन्य जीवों के महत्व का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर- वन और वन्य जीव हमारे पृथ्वी ग्रह के स्वस्थ्य के लिए अनिवार्य हैं। आइए इनके महत्व को विस्तार से देखें:
- पर्यावरण संतुलन: वन वातावरण को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेड़-पौधे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जो सभी जीवों के लिए जीवनदायिनी है। साथ ही, जंगल मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और बाढ़ को नियंत्रित करते हैं।
- जीव विविधता: वन पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के पौधों और जीवों का आवास हैं। यह जीन वैविध्यता बनाए रखने में मदद करता है, जो भविष्य की चुनौतियों के लिए महत्वपूर्ण है। वन्य जीव इस जटिल खाद्य श्रृंखला का हिस्सा हैं, और इनमें से प्रत्येक प्रजाति पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है।
- आधारभूत आवश्यकताएँ: वन हमें लकड़ी, फल, जड़ी-बूटी, औषधीय पौधे और कई अन्य वस्तुएँ प्रदान करते हैं। ये हमारी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण हैं। वन्य जीव भी हमें मांस, चमड़ा और अन्य उत्पाद प्रदान करते हैं।
- जलवायु नियंत्रण: वन वातावरण को ठंडा रखने में मदद करते हैं। पेड़ पौधे सूर्य के प्रकाश को रोकते हैं और वाष्प उत्सर्जन करते हैं, जिससे वातावरण में नमी बनी रहती है। यह वर्षा को प्रभावित करता है और जलवायु को नियंत्रित रखने में सहायक होता है।
- पर्यटन स्थल: वन अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इससे रोजगार के अवसर पैदा होते हैं और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। वन्य जीव देखना भी पर्यटन का एक प्रमुख आकर्षण है।
संक्षेप में, वन और वन्यजीव पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक हैं। हमें इनका संरक्षण करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका लाभ उठा सकें।
प्रश्न 2. वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों का वर्गीकरण कीजिए और सभी वर्गों का वर्णन विस्तार से कीजिए।
उत्तर- वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों का वर्गीकरण
वनों को पेड़ों की संख्या या घनत्व के आधार पर मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- घने वन (Dense Forests):
- इन वनों में पेड़ों की संख्या सर्वाधिक होती है, जिससे जमीन पर सूर्य का प्रकाश कम पहुँच पाता है।
- वृक्षों की आपस में टहनियाँ गुंथी हुई होती हैं और जमीन पर घनी वनस्पति पाई जाती है।
- आर्द्र उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाए जाने वाले सदाबहार वन (Evergreen Forests) इसी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
- इन वनों में साल, शीशम, महोगनी जैसे विशाल पेड़ पाए जाते हैं।
- जीव जंतुओं की विविधता भी इन वनों में सबसे अधिक होती है।
- विरल वन (Open Forests):
- इन वनों में पेड़ों के बीच की दूरी अपेक्षाकृत अधिक होती है, जिससे जमीन पर पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश पहुँच पाता है।
- घास के मैदान भी इन वनों में पाए जा सकते हैं।
- शीतोष्ण प्रदेशों में पाए जाने वाले पर्णपाती वन (Deciduous Forests) इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
- साल, पीपल, बरगद जैसे पेड़ इन वनों में पाए जाते हैं।
- जीव जंतुओं की संख्या घने वनों की तुलना में कम होती है।
- झाड़ी वन (Scrub Forests):
- इन वनों में पेड़ों की ऊंचाई कम होती है और उनका घनत्व भी बहुत कम होता है।
- सामान्यतः इन वनों में कांटेदार झाड़ियाँ और छोटे पेड़ पाए जाते हैं।
- शुष्क और अर्द्ध शुष्क प्रदेशों में पाए जाने वाले वन इसी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
- बबूल, कैक्टस जैसी वनस्पति यहाँ अधिक देखने को मिलती है।
- जीव जंतुओं को इन वनों में रहने के लिए अनुकूलन करना पड़ता है।
- वनों का यह वर्गीकरण पेड़ों के घनत्व के आधार पर किया गया एक सरल वर्गीकरण है। वास्तविकता में वन कई प्रकार के होते हैं, जिनका वर्गीकरण जलवायु, वनस्पति, भौगोलिक परिस्थितियों आदि कारकों के आधार पर भी किया जाता है।
प्रश्न 3. जैव विविधता क्या है ? यह मानव के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं ? विस्तार से लिखिए।
उत्तर- जैव विविधता (Biodiversity) पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवों और पौधों की अद्भुत विविधता को संदर्भित करती है। इसमें विभिन्न प्रजातियां (species), उनकी आनुवंशिक विविधता (genetic variation) और पारिस्थितिक तंत्र (ecosystems) शामिल हैं, जिनमें वे रहते हैं। यह एक जटिल जाल है, जहां हर एक घटक दूसरे से जुड़ा हुआ है।
यह मानव जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कई कारणों से जैव विविधता का संरक्षण आवश्यक है:
- आधारभूत आवश्यकताएं: जैव विविधता हमें भोजन, वस्त्र, आश्रय, दवाइयां और ईंधन जैसे जीवन के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, हम विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां, अनाज और मसाले उगाते हैं। औषधीय पौधों से हमें दवाइयां मिलती हैं।
- पारिस्थितिक संतुलन: जैव विविधता स्वच्छ हवा और पानी प्रदान करने, जलवायु को नियंत्रित करने और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह प्राकृतिक आपदाओं को रोकने और प्रदूषण को कम करने में भी सहायक होती है।
- आर्थिक महत्व: पर्यटन, कृषि और मत्स्य पालन जैसे उद्योग सीधे जैव विविधता पर निर्भर करते हैं। विभिन्न प्रकार के पौधों और जीवों का अध्ययन करके नए वैज्ञानिक खोज भी किए जाते हैं।
संक्षेप में, जैव विविधता पृथ्वी पर जीवन का आधार है। इसका संरक्षण हमारे स्वयं के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 4. विस्तारपूर्वक बताएं कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पति और प्राणीजगत के हास के कारक हैं।
उत्तर- मानव क्रियाओं द्वारा प्राकृतिक वनस्पति और प्राणीजगत का हास
मानव क्रियाओं का प्राकृतिक वनस्पति और प्राणी जगत पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। आइए देखें कैसे:
- वनों की कटाई: फर्नीचर, कागज, ईंधन आदि के लिए व्यापक वृक्ष कटाई से वन क्षेत्र लगातार कम हो रहा है। इससे वनस्पति का विनाश होता है और प्राणियों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाता है.
- अत्यधिक चराई: पशुओं की अत्यधिक चराई से वनस्पति को उगने का मौका नहीं मिलता। इससे मिट्टी का क्षरण होता है और मरुस्थलीकरण बढ़ता है.
- बांध निर्माण: बांध निर्माण के लिए जंगलों को साफ करना पड़ता है। इससे वन क्षेत्र कम होता है और कई जलीय जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है.
- प्रदूषण: वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला प्रदूष वायु, जल और मिट्टी को दूषित करता है। दूषित वातावरण पौधों के विकास को रोकता है और जलीय जीवों के लिए घातक होता है.
- आक्रामक प्रजातियाँ: मनुष्यों द्वारा जानबूझकर या अनजाने में लाई गई विदेशी प्रजातियाँ स्थानीय वनस्पति और जीवों को नुकसान पहुंचाती हैं. ये आक्रामक प्रजातियां मूल प्रजातियों को भोजन और आवास के लिए चुनौती देती हैं.
इन मानवीय गतिविधियों को नियंत्रित करना और वनों के संरक्षण के लिए वृक्षारोपण जैसे प्रयास करना आवश्यक है. तभी हम प्राकृतिक वनस्पति और प्राणी जगत को बचा पाएंगे.
प्रश्न 5. भारतीय जैव मंडल क्षेत्र की चर्चा विस्तार से कीजिए।
उत्तर- भारत अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। इस जैव विविधता के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने 18 जैव मंडल क्षेत्रों की स्थापना की है। ये क्षेत्र भारत के विभिन्न पारिस्थितिकीय तंत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें हिमालय के ऊंचे पर्वत, शुष्क वन, मैदानी घास के मैदान और समुद्री द्वीप शामिल हैं।
इन जैव मंडल क्षेत्रों में तीन क्षेत्र शामिल होते हैं:
- कोर क्षेत्र: यह क्षेत्र पूरी तरह से संरक्षित होता है और इसमें कोई मानवीय गतिविधि नहीं होती है।
- बफर क्षेत्र: यह कोर क्षेत्र को घेरे रहता है और सीमित मानवीय गतिविधियों की अनुमति देता है, जैसे पारंपरिक कृषि और वन प्रबंधन।
- संक्रमण क्षेत्र: यह बाहरी क्षेत्र है जहां सतत विकास को बढ़ावा दिया जाता है।
कुछ प्रसिद्ध भारतीय जैव मंडल क्षेत्रों में शामिल हैं:
- नीलगिरि: यह दक्षिण भारत में स्थित है और पश्चिमी घाटों का हिस्सा है। यहां वर्षा वन, शुष्क वन और घास के मैदान पाए जाते हैं।
- सुंदरवन: यह पश्चिम बंगाल में स्थित है और दुनिया के सबसे बड़े मंग्रोव वनों में से एक है। यहां रॉयल बंगाल टाइगर पाया जाता है।
- नंदा देवी: यह उत्तराखंड में स्थित है और इसमें हिमालय का ऊंचा पर्वतीय क्षेत्र शामिल है।
जैव मंडल क्षेत्र पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये क्षेत्र वनस्पतियों और जीवों की विविधता का संरक्षण करते हैं, नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों की रक्षा करते हैं, और प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देते हैं। साथ ही, ये क्षेत्र अनुसंधान और शिक्षा के केंद्र के रूप में भी कार्य करते हैं।
The Bihar Board Class 10 Geography Solutions provide detailed answers to the questions posed in the Bihar Board Class 10 Geography textbook. The solutions are prepared by expert geography teachers and are designed to help students understand the concepts covered in the textbook. The solutions provide step-by-step explanations of key concepts and offer insights into various real-world applications of the concepts learnt. The Bihar Board Class 10 Geography Solutions are an invaluable resource for students preparing for their Class 10 exams as well as for those who wish to further their studies in geography at the collegiate level.
Bihar Board Class 10 Geography Solutions बिहार बोर्ड कक्षा 10 भूगोल पाठ्यपुस्तक में पूछे गए प्रश्नों के विस्तृत उत्तर प्रदान करते हैं। समाधान विशेषज्ञ भूगोल शिक्षकों द्वारा तैयार किए जाते हैं और छात्रों को पाठ्यपुस्तक में शामिल अवधारणाओं को समझने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। समाधान प्रमुख अवधारणाओं के चरण-दर-चरण स्पष्टीकरण प्रदान करते हैं और सीखी गई अवधारणाओं के विभिन्न वास्तविक-विश्व अनुप्रयोगों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। Bihar Board Class 10 Geography Solutions कक्षा 10 की परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के साथ-साथ उन लोगों के लिए एक अमूल्य संसाधन है जो कॉलेज स्तर पर भूगोल में अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाना चाहते हैं।