Hello Students and Teachers. Are you searching for the Solutions of Bihar Board Class 10 Hindi पद्य Chapter 9? If yes then you have come to the right place. On this page, we have presented you with the Solutions of पद्य Chapter 9: हमारी नींद.
विषय | हिन्दी (गोधूलि भाग 2), पद्य |
अध्याय | 9. हमारी नींद |
कवि | वीरेन डंगवाल |
कक्षा | दसवां |
Category | Bihar Board Class 10 Solutions |
Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 9 Solutions
हमारी नींद
कविता के साथ
Q1) कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि एक बिम्ब की रचना करता है। उसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ) नींद के माध्यम से कवि ने जीवन की विसंगतियों को दर्शाया है। लाज के युग में नींद अधूरी है फिर भी हम कल्पना के भावों में बहते रहते हैं। नींद में पौधों का बढ़ना, बीज का अंकुरना आदि कुछ ऐसे मनोभाव हैं जो मानव जीवन की विसंगतियों को दशांते है। अंकुरित होनेवाला बीज भला विशाल वृक्ष की कल्पना कैसे कर सकता है। आर्थिक स्थिति से विपन्न भला और कुबेर होने की कल्पना कैसे कर सकता है। उनकी ये कल्पनाएँ उस नी की तरह हैं जो बिना पतवार की नौका हाती हैं। हमारी नींद एक प्रतीकात्मक रूप है। यह अपूर्ण जीवन के बीच समग्र जीवन की कल्पना है।
Q2) मक्खी के जीवन-चक्र का कवि द्वारा उल्लेख किए जाने का क्या आशय है ?
उत्तर ) यहाँ कवि ने मक्खी को प्रतीकात्मक रूप दिया है । मक्खियों की तरह अत्याचारी जन्म ले रहे हैं। वे अपना जीवन-क्रम पूरा नहीं कर पाते हैं । वे बमबारी, गोलीबारी आदि के शिकार हो जाते हैं। एक मक्खी से सैकड़ों मक्खियों का उद्भव होता है। एक अत्याचारी हजारों अत्याचारियों को जन्म देता है। उनका जीवन-चक्र विनाश के लिए होता है ।
Q3) कवि गरीब बस्तियों का क्यों उल्लेख करता है ?
उत्तर ) गरीब अपना जीवन-चक्र अजीबोगरीब की तरह यापन करता है। अभावों के बीच भी वह मिथ्या बड़प्पन को ढोने की चेष्टा करता है। पर्व-त्योहार अतिथि आगमन पर वह अपने सामर्थ्य से अधिक खर्च करता है । ‘बुभुक्षितः किं न करोति पापम्’ – के आधार पर वह कुकृत्य करने से भी नहीं हिचकता है।
Q4) कवि किन अत्याचारियों का और क्यों जिक्र करता है ?
उत्तर ) वैसे अत्याचारी जो अपने सामर्थ्य के नाम पर हजारों अत्याचारियों को पैदा करते हैं। आज अत्याचारियों के पास सर्व-सुलभ साधन हैं। वे असहायों को सताने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। आज के समय में सर्वत्र विक्षुब्धता है। शोषित और कमजोर वर्ग के लोग किसी तरह जीवन जीने के लिए विवश हैं।
Q5) ‘इंकार करना’ न भूलनेवाले कौन हैं ? कवि का भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर ) हठीला जीवन जीनेवाले वैसे लोग जो त्रस्त होने पर भी अपने आत्मबल को कमजोर नहीं कर पाये हैं। अभावों के बीच भी अपने तेज को संजोये रखते हैं। हठयोगी एवं कर्मयोगी रहनेवाले वे विषम परिस्थितियों में भी अपनी जिज्ञासा और आत्मबल को मजबूत किये रहते हैं।
Q6) कविता के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए ।
उत्तर ) किसी भी कविता का शीर्षक कवितारूपी शरीर का मुख होता है। शीर्षक कविता की सारगर्भिता लिए रहता है। शीर्षक रखने के समय कुछ बातें इस प्रकार होती हैं-शीर्षक, सार्थक लघु और समीचीन होना चाहिए। साथ ही शीर्षक घटना प्रधान, जीवन प्रधान या विषय-वस्तु प्रधान होता है। यहाँ शीर्षक विषय-वस्तु प्रधान हैं। शीर्षक छोटा है और आकर्षक भी है। इसका शीर्षक पूर्ण रूप से केन्द्र में चक्कर लगाता है जहाँ शीर्षक सुनकर ही जानने की इच्छा प्रकट हो जाता है। अत: सब मिलाकर शीर्षक सार्थक है।
Q7) व्याख्या करें –
(क) गरीब बस्तियों में भी
धमाके से हुआ देवी जागरण।
लाउडस्पीकर पर।
(ख) याने साधन तो सभी जुटा लिए हैं अत्याचारियों ने।
(ग) हमारी नींद के बावजूद ।
उत्तर क) प्रस्तुत पंक्तियाँ वीरेन डंगवाल द्वारा रचित ‘हमारी नींद’ शीर्षक कविता से संकलित है। इसमें कवि अभावों के बीच जीवन जीनेवाले उन गरीबों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है जो मिथ्या जीवन जीने के लिए तरह-तरह के प्रदर्शन करते हैं। आज परिस्थिति बदल गई है। सुखी-सम्पन्न लोग घरों में बैठकर आराम का जीवन जीते हैं। अभावों के बीच जीनेवाले लोग पर्व-त्योहार आदि के नाम पर अपने सामर्थ्य से ऊपर उठकर खर्च करते हैं। उनकी स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती चली जाती है। गरीबों की ऐसी सोच ही उनकी गरीबी का आधार है।
उत्तर ख) प्रस्तुत पंक्ति वीरेन डंगवाल द्वारा रचित ‘हमारी नींद’ शीर्षक कविता से संकलित है। इसमें कवि सर्वसुविधा सम्पन्न अत्याचारियों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है। सामर्थ्यपूर्ण अत्याचारी अपने साम्राज्य विस्तार करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। फिर भी वे गहरी नींद नहीं सो पाते हैं। अभावों के बीच भी भद्र मनुष्य बेपरवाही से जीवन जी लेता है उसकी नींद जीवन के अंतर्मन को सुखे देती है।
उत्तर ग) प्रस्तुत पंक्ति वीरेन डंगवाल द्वारा संचत ‘हमारी नींद’ शीर्षक कविता से संकलित है। इसमें कवि कहना चाहता है कि हमारा हठीला जीवन उन्माद एवं खामोशी में भी किंकर्तव्यविमूढ़ नहीं बना रहता है। जीवन-चक्र आगे बढ़ता ही जाता है। अभाव में भी पूर्णता है। सर्वसुलभ अत्याचारी गहरी नींद में भी नहीं सो पाते हैं जबकि अभावग्रस्त बेपरवाही, जीवन जीनेवाला मानव गहरी नींद में सो लेता है।
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